लखनऊ:हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को मनी लॉन्ड्रिंग के मुकदमे में राहत देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा विवेचना से पता चलता है कि मंत्री बनने के बाद गायत्री प्रजापति की संपत्ति में बेतहाशा वृद्धि हुई है. प्रथम दृष्टया अपराध घटित होना पाया जाता है. लिहाजा अभियुक्त के खिलाफ आरोप तय कर के ट्रायल कोर्ट ने कोई त्रुटि नहीं की है.
यह निर्णय न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने गायत्री प्रजापति की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया. याचिका में गायत्री ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की विशेष अदालत द्वारा उनके खिलाफ आरोप तय किए जाने और आरोपों से बरी किए जाने सम्बंधी प्रार्थना पत्र को विशेष अदालत द्वारा खारिज किए जाने को चुनौती दी थी. गायत्री की याचिका का प्रवर्तन निदेशालय के अधिवक्ता ने विरोध किया. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कहा कि विवेचना से पता चलता है कि अभियुक्त की मंत्री पद पर रहते हुए ज्ञात स्त्रोतों से कुल आय 72 लाख 38 हजार रुपये हुई. जबकि अभियुक्त, उसके परिवार के सदस्यों, बेनामी संपत्तियों और कंपनियों की कुल सम्पत्ति 35 करोड़ रुपये है. अभियुक्त इस 35 करोड़ रुपये की सम्पत्ति के स्त्रोत के बारे में कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका है.