लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजस्व संबंधी एक मामला जिसे तीन महीने में निर्णित कर दिया जाना चाहिए, उसे चार महीनों तक पंजीकृत ही न करने पर नाराजगी जाहिर की है. न्यायालय ने कहा है कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, लेकिन उसी समय हमें यह कहने में पीड़ा भी हो रही है कि वर्तमान मामला ऐसा है जिसमें याचियों को न्याय तक पहुंच के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया गया.
न्यायालय ने मामले में प्रमुख सचिव, राजस्व को जांच का आदेश दिया है. साथ ही यह भी आदेश दिया है कि राजस्व न्यायालयों के समक्ष आने वाले मामलों को तत्काल पंजीकृत किया जाए व आदेश पत्रक समुचित तरीके से बनाए जाएं व उन पर पीठासीन अधिकारी हस्ताक्षर करें.
यह आदेश न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की एकल पीठ ने अवधेश कुमार व अन्य की ओर से दाखिल एक याचिका पर पारित किया. याचियों ने संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत याचिका दाखिल करते हुए, मांग की थी कि राजस्व संहिता की धारा 24 के तहत पैमाईश के लिए दाखिल उनके प्रार्थना पत्र का निस्तारण करने का आदेश मोहनलालगंज तहसील को दिया जाए.