लखनऊ: प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए रोजाना सैकड़ों चालान काटे जाते हैं. सबसे ज्यादा चलाना बाइक सवार को हेलमेट न लगाने को लेकर किया जाता है. राजधानी की पुलिस हेलमेट न लगाने को लेकर रोजाना भले की सैकड़ों चालान कर रही हो, लेकिन हेलमेट की क्वालिटी को लेकर जारी गाइडलाइन का पालन कराने में नाकाम साबित हो रही है. बाजारों में और सड़क किनारे हेलमेट विक्रेता धड़ल्ले से बिना आईएसआई मार्क के हेलमेट बेच रहे हैं. ईटीवी भारत ने जब इसकी पड़ताल की, तो मामले का खुलासा हुआ.
मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के सेक्शन 129 के तहत ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बी आईएस) से अप्रूव हेलमेट का ही प्रयोग बाइक चलाते समय किया जाना चाहिए. ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के तहत बिना आईएसआई मार्क के हेलमेट बेचना कानूनी अपराध है. इसके बावजूद भी राजधानी लखनऊ की विभिन्न दुकानों और सड़कों के किनारे हेलमेट विक्रेता धड़ल्ले से बिना आईएसआई मार्क के इसकी बिक्री कर रहे हैं.
नहीं की जाती है कार्रवाई
हेलमेट पहनने के बाद भी हर वर्ष सड़क हादसे में सिर में चोट लगने के कारण हजारों लोगों की मौत हो जाती है. जानकारों की मानें तो इसका कारण बाइक चलाते समय लो क्वालिटी का हेलमेट लगाना है. ट्रैफिक पुलिस की ओर से हेलमेट न पहनने पर बाइक सवारों का चलाना काटा जाता है, लेकिन हेलमेट के क्वालिटी की जांच नहीं की जाती है. साथ ही ऐसे दुकानदारों पर कोई कार्रवाई भी नहीं की जाती है, जो बिना आईएसआई मार्क के हेलमेट बेच रहे हैं. यही कारण है कि राजधानी लखनऊ में धड़ल्ले से बिना आईएसआई के हेलमेट की बिक्री हो रही है.