लखनऊ:लेवाना होटल अग्निकांड मामले में स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए, हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. न्यायालय ने कहा है कि एलडीए व आवास विकास जैसे प्राधिकरणों को देखने (रेग्युलेशन) का काम सरकार का है जबकि यहां सरकार का काम हमें करना पड़ रहा है. न्यायालय राज्य सरकार की ओर से दिए जवाब से भी संतुष्ट नहीं हुई है. न्यायालय ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि जो भवन नियमों का उल्लंघन करते हुए बनाए गए हैं, उन पर आखिर क्या कार्रवाई हुई है.
न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 3 नवम्बर की तिथि नियतकी है. न्यायालय ने राज्य सरकार को बेहतर जवाब के साथ आने का आदेश दिया है. इसके साथ ही न्यायालय ने एलडीए को सर्वेक्षण करने के उपरांत विस्तृत हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि शहर में कितने भवन एलडीए के बॉयलॉज का उल्लंघन करते हुए बनाए गए हैं और उन पर क्या कार्रवाई की गई. इसके साथ ही न्यायालय ने मामले में अपर मुख्य सचिव, आवास व शहरी नियोजन, नगर आयुक्त लखनऊ नगर निगम व आवास आयुक्त आवास विकास परिषद आदि को भी मामले में पक्षकार बनाने के आदेश दिए हैं. वहीं सुनवाई के दौरान एलडीए के वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी भी हाजिर रहे.
यह आदेश न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने लेवाना सुइट्स होटल में आग की घटना’ नाम से स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर पारित किया. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता, द्वितीय शैलेन्द्र सिंह ने चीफ फायर ऑफिसर का हलफ़नामा प्रस्तुत किया जिसमें एनओसी जारी की जाने के सम्बंध में जानकारी थी. न्यायालय ने इस से असंतुष्टि जाहिर करते हुए कहा कि हम जानना चाहते हैं कि फायर नॉर्म्स का पालन न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई क्या की गई.