लखनऊ: यूपी में खून की कालाबाजारी पर पूरी तरह से अंकुश लगाने लिए ब्लड बैंकों का डिजिटाइजेशन किया जाएगा. अब ब्लड बैंक में उपलब्ध हर यूनिट की बारकोडिंग होगी. यूनिट जारी करते वक्त मरीज का पंजीकरण (यूएचआईडी) नंबर भी उस पर दर्ज होगा. इसकी पहल स्टेट ब्लड बैंक केजीएमयू से शुरू होगी. केजीएमयू की ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. तूलिका चंद्रा के मुताबिक ब्लड यूनिट पर बार कोड होने से मॉनिटरिंग आसान हो जाएगी. इसके जरिये ब्लड एक्सपायरी भी रोकी जा सकेगी.
47 जिलों में खुलेगी प्लेटलेट्स यूनिट: राज्य में अभी 28 जिलों में 48 सरकारी ब्लड सेपरेटर यूनिट हैं. इसमें सबसे ज्यादा लखनऊ के अस्पतालों में है. डीजी हेल्थ डॉ. वेदव्रत सिंह के मुताबिक अब शेष 43 जिलों में भी ब्लड सेपरेटर यूनिट बनेंगी. यह यूनिट ब्लड बैंक में ही होंगी, जिसमें 31 उपकरण होंगे. इस यूनिट में ब्लड को चार अवयवों में पृथक किया जा सकेगा. जिसमें एक अवयव प्लेटलेट्स भी होगा, जिसे डेंगू के मरीजों में चढ़ाकर उनकी जिंदगी बचाई जा सकेगी.
22 लाख यूनिट की आवश्यकता : कोरोना की वजह से यूपी की ब्लड बैंकों में ब्लड के स्टॉक में भारी कमी हो गई थी. पॉजिटिव, निगेटिव सभी ग्रुपों के कई अवयवों का संकट खड़ा हो गया. ऐसे में राज्य में जहां हर साल 22 लाख यूनिट की आवश्यकता है. उसके मुकाबले साल 20-21 में 11.6 लाख यूनिट रक्त ही संग्रह हो सका. इससे पहले साल 18-19 में 12.5 लाख और साल 19-20 में 11.6 लाख यूनिट ब्लड ही संग्रह हो सका. ऐसे में ब्लड संग्रह को बढ़ावा देने के लिए शिविर लगाने के निर्देश दिए गए हैं.
रक्तदान से पहले यह जांच मुफ्त:केजीएमयू की ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की डॉ. तूलिका चन्द्रा के मुताबिक रक्तदान करने से व्यक्ति की पांच हजार तक की जांचें फ्री हो जाती हैं. इसमें एचआईवी, हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी, सिफलिस, मलेरिया, ब्लड ग्रुपिंग, ब्लड एन्टीबॉडी स्क्रीनिंग, हीमोग्लोबिन की जांच मुफ्त में हो जाती है.
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