लखनऊ: वेतन आयोग की रिपोर्ट पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय का अनुपालन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा न किए जाने से आहत न्यायिक सेवा संघ ने मुख्य सचिव को तीसरा रिमाइंडर भेज कर उच्चतम न्यायालय के आदेश का अनुपालन किए जाने की मांग की है.
उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ (UP Judicial Service Association) के महासचिव हरेंद्र बहादुर सिंह ने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर कहा है कि द्वितीय वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूर करते हुए, उच्चतम न्यायालय ने 27 जुलाई 2022 को उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि वह न्यायिक अधिकारियों को नए वेतनमान के अनुसार भुगतान करे.
एसोसिएशन की ओर से भेजे गए रिमाइंडर में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश का अनुपालन किए जाने के लिए न्यायिक सेवा संघ की ओर से गत वर्ष 28 जुलाई, 12 सितंबर एवं 14 अक्टूबर को प्रत्यावेदन दिया गया था, लेकिन द्वितीय वेतनमान आज तक प्रदान नहीं किया गया है.
न्यायिक सेवा संघ की ओर से कहा गया है कि न्यायमूर्ति ई पद्मनाभन कमेटी की सिफारिशों में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि 1 जनवरी 2006 से द्वितीय वेतनमान लागू किया जाए. यह भी बताया गया है कि 27 मार्च 2018 के आदेश के अनुसार 30% एरियर का भुगतान होना है. इसमें 25% तीन माह के अंदर नकद भुगतान तथा 25% अगले तीन माह में एवं शेष 50% का भुगतान जून 2023 तक किए जाने को कहा गया था.
न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे अधिवक्ता:
लखनऊ: शुक्रवार को गुड फ्राइडे के उपलक्ष्य में शासन द्वारा अवकाश घोषित किए जाने एवं अदालतों में अवकाश घोषित न किए जाने पर अधिवक्ता 7 अप्रैल को पूर्ण रूप से न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे. लखनऊ बार एसोसिएशन की ओर से जारी प्रस्ताव में महासचिव कुलदीप नारायण मिश्रा की ओर से कहा गया है कि 7 अप्रैल को गुड फ्राइडे के अवसर पर शासन द्वारा अवकाश घोषित किया गया है, परंतु दीवानी न्यायालय एवं उसके अधीनस्थ न्यायालय में अवकाश घोषित नहीं किया गया है. इस कारण राजधानी के अधिवक्ता 7 अप्रैल को पूर्ण रूप से न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे.
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