हलाल सर्टिफिकेट देने वाली कंपनियों को यूपी STF का नोटिस, पूछे गए हैं ये सवाल - Ban on Halal Certified Products
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हलाल सर्टिफिकेशन वाले उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने के बाद यूपी एसटीएफ ने नौ कंपनियों को नोटिस भेजा है. एसटीएफ ने नोटिस के जरिए 11 बिंदुओं पर जवाब मांगा है. इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी.
लखनऊ : हलाल सर्टिफिकेशन करने वाली 9 कंपनियों को यूपी एसटीएफ ने धारा 91 CrPC का नोटिस भेजा है. नोटिस भेज कर एजेंसी ने सभी कंपनियों के जिम्मेदार अधिकारियों को एसटीएफ कार्यालय आकर सात दिनों के अंदर जवाब देने के लिए कहा है. बता दें, 17 नवंबर को हजरतगंज थाने में हलाल सर्टिफिकेशन करने वाली कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. अगले दिन योगी सरकार ने हलाल सर्टिफाइड उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया और इस पूरे मामले की जांच यूपी एसटीएफ को सौंप दी थी.
एसटीएफ के सवाल :यूपी एसटीएफ ने हलाल सर्टिफाइड उत्पादों के मामले में अपनी जांच तेज कर दी है. मंगलवार को एसटीएफ ने हलाल सर्टिफिकेशन करने वाली नौ कंपनियों को नोटिस भेज दी है. नोटिस के जरिए एसटीएफ ने कंपनियों से 11 बिंदुओं पर जवाब तलब किए हैं.
सूत्रों के मुताबिक एसटीएफ ने पूछा है कि हलाल का सर्टिफिकेट किन किन उत्पादों पर जारी किया गया.
हलाल सर्टिफिकेट किन किन कंपनियों को दिया गया.
हलाल सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार कंपनी को किसने दिया.
कंपनी ने सर्टिफिकेट जारी करने से पहले किस लैब या विशेषज्ञ से परीक्षण करवाया गया.
हलाल उत्पाद की टेस्टिंग का मानक क्या है.
क्या टेस्टिंग करने और सर्टिफाइड करने के लिए शुल्क या किसी भी तरह का भुगतान लिया गया है. यदि हां तो शुल्क निर्धारण का मानक क्या है.
कौन सी संस्थाएं ऐसा सर्टिफिकेट दे रही हैं.
हलाल सर्टिफिकेशन कब से दिया का रहा है.
अब तक सर्टिफाइड कर कितनी कमाई की गई है, हर वर्ष का विवरण दें.
लाल सर्टिफाइड उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध :दरअसल, बाजारों में हलाल सर्टिफाइड उत्पादों की बिक्री को लेकर 17 नवंबर को बीजेपी के युवा मोर्चा के पूर्व क्षेत्रीय उपाध्यक्ष और व्यापारी शैलेंद्र कुमार शर्मा की तहरीर पर राजधानी के हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. एफआईआर दर्ज होते ही योगी सरकार ने राज्य में हलाल सर्टिफाइड उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था. जिसके बाद राज्य भर में खाद्य विभाग ने छापेमारी की थी. योगी सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस मामले की जांच यूपी एसटीएफ को सौंप दी थी.