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दो दशक में हाजी इकबाल बना 2500 करोड़ की संपत्ति का मालिक - जांच में जुटी ईडी

यूपी के लखनऊ में हाजी इकबाल द्वारा सात चीनी मिलों को कौड़ियों के भाव खरीदे जाने के मामले में कार्रवाई करते हुए 1097 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति को अटैच कर दिया है. हाजी इकबाल ने उस समय 62.28 करोड़ रुपये में इन सात चीनी मिलों को दो बोगस कंपनियों के नाम से खरीदा था. वर्तमान में हाजी इकबाल की 2500 करोड़ की संपत्ति है.

हाजी इकबाल
हाजी इकबाल

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Published : Mar 11, 2021, 11:08 PM IST

लखनऊःबसपा शासनकाल के दौरान 2010-11 में 21 चीनी मिलों का सौदा कर दिया गया. यह वह चीनी मिलें थीं, जिनमें कुछ तो बंद थीं लेकिन कई चीनी मिलें चालू थीं. तीन चीनी मिलों को खरीदने वाला कोई और नहीं बसपा के ही लोग थे. अब प्रवर्तन निदेशालय ने सहारनपुर के पूर्व बसपा एमएलसी हाजी इकबाल द्वारा सात चीनी मिलों को कौड़ियों के भाव खरीदे जाने के मामले में कार्रवाई करते हुए 1097 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति को अटैच कर दिया है. हाजी इकबाल ने उस समय 62.28 करोड़ रुपये में इन सात चीनी मिलों को दो बोगस कंपनियों के नाम से खरीदा था.

62.28 करोड़ रुपये में खरीदी थी चीनी मिलें.

प्रदेश में भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार आने के बाद इन 21 चीनी मिलों को भेजे जाने के मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी. जिसके बाद सीबीआई ने गोमती नगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया. वहीं इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय को भी शामिल कर दिया गया. देर से ही सही लेकिन इस बड़ी कार्रवाई को भाजपा हो या कांग्रेस सब जायज ठहरा रहे हैं.

कौड़ियों के भाव बेची गई थीं चीनी मिलें
मायावती के शासनकाल में 2010 और 2011 के बीच में 21 चीनी मिलों को कौड़ियों के भाव में बेच दिया गया. इनमें से सात चीनी मिलों को अकेले बसपा के पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल ने खरीदा था. इन चीनी मिलों को कौड़ियों के भाव में 62.28 करोड़ रुपये में खरीदा गया था. वहीं नीलामी की प्रक्रिया में नियमों को ताक पर रखकर इनका सौदा किया गया. जबकि इनकी उस समय के दाम कहीं और ज्यादा थे. हाजी इकबाल पहले से ही बसपा शासनकाल में खनन का सिंडिकेट चला रहा था. उसने इन चीनी मिलों को खरीदने के लिए अपनी दो बोगस कंपनियां बनाई थीं.

2500 करोड़ की संपत्ति पर ईडी की नजर
सहारनपुर के पूर्व बसपा एमएलसी हाजी इकबाल पर प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार को कार्रवाई करते हुए 1097 करोड़ की संपत्तियां अटैच की हैं. वहीं कौड़ियों के नाम में चीनी मिलें खरीदने के मामले में जांच की जा रही है. अब ईडी की नजर इकबाल की 2500 करोड़ की नामी और बेनामी संपत्तियों पर है.

दो दशक में खरबपति बना हाजी इकबाल
बसपा शासनकाल में खनन का सिंडिकेट चलाने वाले हाजी इकबाल की संपत्ति ढाई हजार करोड़ से ज्यादा की है. वहीं यह भी बताया जाता है की लकड़ी की टाल और फल का काम करने वाले हाजी इकबाल ने किस तरह से इतना बड़ा सिंडिकेट बना लिया. उसके ऊपर अवैध खनन मामले में कई मुकदमे भी दर्ज हैं.

सीबीआई की एफआईआर के बाद सक्रिय हुआ यईडी
सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) की ओर से शिकायत और सीबीआई के द्वारा चीनी मिलों की बिक्री के मामले में दर्ज एफआईआर के बाद ईडी ने भी इकबाल और अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी. वहीं अक्टूबर 2020 में ईडी ने इकबाल के दिल्ली और मेरठ के कई ठिकानों पर छापेमारी करके करोड़ों रुपये की संपत्ति के दस्तावेज भी बरामद किए थे. इसके बाद से ही कहा जा रहा था ईडी जल्द हाजी इकबाल की संपत्ति पर प्रवर्तन निदेशालय अटैच करने की कार्रवाई कर सकती है.

चीनी मिलों को खरीदने के लिए बनाई थीं फर्जी कंपनियां
हाजी इकबाल ने सात चीनी मिलों को खरीदने के लिए फर्जी कंपनियां बनाई थीं. जिनमें नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड, गिरीसो कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के नाम शामिल हैं . इन दोनों ही कंपनियों को इकबाल और उनके परिवारी जन संचालित कर रहे थे. वहीं इस मामले में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने भी फर्जीवाड़े में केंद्र और राज्य सरकार की 1179 करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही थी.

राजस्व को नुकसान पहुंचाने वालों पर हो कार्रवाई
कांग्रेस के प्रवक्ता विजेंद्र सिंह ने बताया के मायावती के शासनकाल में चीनी मिलों को कौड़ियों के दाम में बेचा गया था. इनमें से कई चीनी मिले तो अच्छी हालत में थीं, जो लाभ भी दे रही थीं. देर से ही सही प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा हाजी इकबाल पर की गई कार्रवाई बिल्कुल सही है क्योंकि सरकारी संपत्तियों को कौड़ियों के दाम खरीद कर राजस्व को नुकसान पहुंचाने वालों पर जरूर कार्रवाई होनी चाहिए.

'सपा काल में नहीं हुई थी कार्रवाई'
राजनीतिक विश्लेषक दिलीप अग्निहोत्री ने बताया कि बसपा शासनकाल में 21 चीनी मिलों को कौड़ियों के दाम में बेचा गया था. उस समय भाजपा के किरीट सोमैया ने भी इस पूरे मामले का चिट्ठा खोला था लेकिन सपा शासनकाल में इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. भाजपा की सरकार ने आते ही इस मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की फिर अब प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई कार्रवाई सराहनीय है.

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