लखनऊ: जीवित प्राणियों के अस्तित्व के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है. ऐसे में अवशिष्ट और सीवेज के कारण राजधानी के जल निकाय लगातार प्रदूषित हो रहे हैं. ग्राउंड वाटर के लिए तालाब महत्वपूर्ण माने जाते थे, लेकिन लगातार बढ़ रहे शहरीकरण के कारण राजधानी के तालाब अतिक्रमण और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए. इन तालाबों पर कब्जे हो गए, जो गंभीर चिंता का विषय है. यदि समय रहते नगर निगम और जिला प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले दिनों में इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
ईटीवी भारत ने जब राजधानी लखनऊ के तालाबों की वास्तु स्थिति के बारे में जानना चाहा तो जो रिपोर्ट आई है, वह काफी चौंकाने वाली है. राजधानी लखनऊ के अधिकतर तालाब अतिक्रमण और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए हैं. सबसे खास बात यह है कि इस अतिक्रमण और भ्रष्टाचार में सरकारी महकमे ने भी अपनी भूमिका का निर्वहन नहीं किया, जिसका खामियाजा आने वाले दिनों में राजधानी लखनऊ की जनता को भुगतना भी पड़ेगा.
लखनऊ की स्थिति सबसे भयानक
विगत 40 वर्षों से ग्राउंड वाटर पर कार्य कर रहे ग्राउंड वाटर एक्सपोर्ट आर्य सिन्हा का कहना है कि लगातार जल का दोहन हो रहा है. इसके लिए कोई कानूनी व्यवस्था नहीं है. राजधानी के अधिकतर तालाब अतिक्रमण और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए हैं. इस अतिक्रमण और भ्रष्टाचार को रोकने वाले अधिकारी भी इस पर ध्यान नहीं दिए, जिसका खामियाजा आने वाले दिनों में राजधानी लखनऊ की जनता को भुगतना पड़ेगा. तालाबों पर हो रहे अतिक्रमण से लगातार भूजल का स्तर नीचे जा रहा है, जो एक गंभीर विषय है.
अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए 1,592 तालाब
इसे सरकारी लापरवाही या अधिकारियों की संलिप्तता कहें, जिस राजधानी में लगातार पानी को लेकर चर्चा पर चर्चा हो रही है. वहीं पर नदी के किनारे, कुएं और तालाब पर लगातार कब्जे हो रहे हैं. राजधानी में भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. यदि हमने समय रहते इन पानी के स्रोतों को बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया तो आने वाले दिनों में इसका खामियाजा हम सभी को भुगतना पड़ेगा. लगातार हो रहे शहरीकरण के कारण राजधानी में 1,592 तालाब अतिक्रमण और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भले ही एंटी भू-माफिया स्क्वायड का गठन किया हो, लेकिन अभी तक तालाबों पर से कब्जे नहीं हटाए जा सके हैं.