लखनऊ : भूगर्भ जल विभाग की तरफ से भूजल भवन में ग्राउंड वाटर प्रबंधन और बचाने को लेकर मंथन किया गया. सेमिनार में भूगर्भ जल से जुड़े कई विशेषज्ञों ने भूगर्भ जल बचाने के उपाय सुझाए. कार्यक्रम में भूगर्भ जल विशेषज्ञ शवाहिक सिद्दीकी ने कहा कि भूजल स्तर बढ़ाने के साथ ही जो स्थिति लगातार दोहन की है उसे बेहतर करने की आवश्यकता है. सबसे पहले हमें कानूनी रूप से इसके लिए प्रावधान करने होंगे. जिससे अवैध रूप से भूजल दोहन रोक लगाई जा सके. स्थानीय निकायों के स्तर पर भूजल स्तर को ठीक करने के काम भी करने होंगे. पब्लिक को भी यह समझना होगा कि जितना जरूरी है उतना ही ग्राउंड वाटर खर्च किया जाए.
भूगर्भ जल विशेषज्ञ आरके सिन्हा ने कहा कि भूजल बचाने की जो नीति बनी है, उसे और सशक्त करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि करीब 70 फीसद जल कृषि करने में खर्च हो रहा है. इसके अलावा अन्य कामकाज में भी जल खर्च हो रहा है. हम सबकी जिम्मेदारी है कि भूगर्भ जल का प्रबंधन ठीक से किया जाए और अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी जल के संकट से अवगत कराना होगा. बीबीएयू के इनवायरमेंट साइंस विभाग के प्रोफेसर डॉ. वेंकटेश दत्ता ने कहा कि भूगर्भ जल को बचाने के लिए कैसे सभी विभाग एक साथ काम कर सकते हैं. भूजल बचाने के लिए जो चुनौती सामने आई है. 75 हजार किमी तक कैनाल का वाटर ग्राउंड है, लेकिन 70 फीसद जल का दोहन हो रहा है. ग्राउंड वाटर को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. कैसे सब मिलकर इसे बचाने के लिए काम कर सकते हैं. कैसे नीति तैयार की जानी है. उस पर हमें प्लानिंग करनी होगी.