लखनऊ: मुख्यमंत्री राज्य में भरपूर ऑक्सीजन और बेड के दावे कर रहे हैं. वहीं कोरोना मरीज जांच-इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं. खासकर, लखनऊ के हालात भयावह हैं. आरोप है कि यहां वीआईपी और जुगाड़ वालों को अफसर पलक झपकते ही बेड उपलब्ध करा दे रहे हैं. वहीं आम मरीज को कोविड कंट्रोल रूम से सिर्फ आश्वसन मिल रहा है. लिहाजा बेड मांगते-मांगते ही मरीजों की घर पर सांसें रुक जा रही हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने चिकित्सकीय सेवाओं की पड़ताल के लिए गुरुवार को लोहिया संस्थान का जायजा लिया. यहां मरीजों की इलाज के अभाव में सांसें फूलती दिखीं. वहीं भटकते तीमारदार सरकारी दावों को कोसते नजर आए.
हर रोज किया फोन, बेड के बदले मिली मौत
उत्तरधौना निवासी दीपक कुमार ने बताया कि चार दिन पहले दादी की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी. दीपक ने बताया कि रोज कमांड सेंटर को कॉल की. इलाज के अभाव में ऑक्सीजन लेवल 60 पर आ गया. फिर कई बार फोन किया गया, मगर हर बार आश्वसन ही मिलता रहा. आखिर में बुधवार को घर पर दादी की मौत हो गई. आरोप है कि कमांड सेंटर में जुगाड़ और वीआईपी मरीजों को अफसर बेड एलॉट कर रहे हैं. आम मरीजों को बेड नहीं मिल रहा है. दीपक ने बताया कि घर पर जांच टीम भी नहीं पहुंची. उन्होंने गुरुवार को लोहिया संस्थान पहुंचकर जांच कार्रवाई.
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ऑनलाइन बेड खाली, मरीज को नहीं दिया
अशोक कुमार के पुत्र अर्पित कुमार ने बताया कि पिता को कोरोना हो गया है. ऑनलाइन पीजीआई, केजीएमयू, लोहिया के कोविड अस्पताल में बेड खाली दिखा रहे थे. कोविड कमांड कंट्रोल रूम से लेकर अस्पतालों तक के चक्कर लगाए. सीएम को ट्विट किया. मगर, दो दिन से बेड नहीं मिला. पिता घर पर ही ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं.
कागजों पर कोरोना के लिए पांच हजार बेड