लखनऊ : प्रदेश में विगत फरवरी में तीन दिनी उत्तर प्रदेश ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया. इस समिट में लगभग 35 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए थे. सरकार ने इसका खूब प्रचार-प्रसार भी किया. इस आयोजन को पांच माह बीत चुके हैं और लोगों की निगाह इन प्रस्तावों को जमीन पर उतारने पर है. यह कोई बहुत आसान काम भी नहीं है. इन उद्योगों के लिए भूमि और अन्य आधारभूत ढांचे की जरूरत होगी. सरकार 'भूमि बैंक' बनाने के लिए गंभीरता से काम कर रही है और पर्याप्त भूमि का प्रबंध हो जाने के बाद ही कुछ माह बाद ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी का आयोजन किया जाएगी. जिसमें निवेशक अपनी योजना को धरातल पर उतारेंगे. यही वक्त होगा जब निवेशकों की जरूरतों और समस्याओं का सही आकलन हो पाएगा.
ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के जरिए प्रधानमंत्री का सपना. ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट का उद्घाटन करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अन्य.
गौरतलब है कि 10 फरवरी से 12 फरवरी 2023 तक यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के आयोजन का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और समापन राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु के किया था. समिट में 33 लाख, 50 हजार करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले थे और इस दौरान 19 हजार 058 एमओयू साइन किए गए थे. उम्मीद की गई है कि इस निवेश से करीब 94 लाख लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. वहीं राज्य सरकार ने निवेशक कार्यान्वयन की निगरानी के लिए 'निवेश सारथी' प्रणाली भी शुरू की है, ताकि निवेशकों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो. बताया जा रहा है कि इन निवेशों में कई दवा क्षेत्र से भी हैं. दवा सेक्टर में 63 हजार 475 करोड़ के प्रस्ताव मिले हैं, जिनमें 156 समझौते किए गए हैं. इससे आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश दवा क्षेत्र का हब बन सकता है. अध्यात्म और ईको टूरिज्म के लिए भी 29 हजार करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं. यदि यह सभी निवेश धरातल पर उतरे तो यह प्रदेश के लिए बहुत अच्छी खबर होगी. राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीएसआईडीए) इस दिशा में हर संभव प्रयास कर रहा है.
ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट में आए निवेशकों के साथ सीएम योगी. ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट में आए निवेश प्रस्ताव.
अब ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी की तैयारी कर रही सरकार के सामने बड़ी चुनौती भूमि बैंक बनाने की है. उद्यमी ऐसे क्षेत्रों में भूमि चाहेंगे, जहां आधारभूत सुविधाओं के साथ अच्छा माहौल भी मिले. प्रदेश में उद्योगों की स्थापना के लिए राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण भूमि बैंक का विस्तार करने में लगा हुआ है. इसके तहत प्राधिकरण शहरों और ग्रामीण इलाकों में बंजर, ग्राम समाज, नजूल सहित अन्य प्रकार की जमीनों का अधिग्रहण करने की तैयारी कर रहा है. प्राधिकरण अब तक विभिन्न क्षेत्रों की 871 एकड़ भूमि अधिग्रहीत कर चुका है. वहीं साढ़े तेरह सौ एकड़ से अधिक भूमि चिह्नित चिह्नित की गई है, जिसका निकट भविष्य में अधिग्रहण किया जा सकेगा. औद्योगिक विकास प्राधिकरण केंद्र सरकार के बीमार चल रहे अथवा निष्क्रिय संस्थाओं के अधिग्रहण के लिए भी प्रयासरत है. इसी कड़ी में प्रयागराज के बीपीसीएल की लगभग सवा दो सौ एकड़ और लखनऊ स्थित स्कूटर इंडिया की डेढ़ सौ एकड़ भूमि के अधिग्रहण के प्रयास भी शामिल हैं. विवादित अथवा दिवालिया हो चुके उद्योगों की भूमि भी अधिग्रहीत की जा रही है. इनमें प्रतापगढ़ स्थित ऑटो ट्रैक्टर लिमिटेड की लगभग सौ एकड़ और हाथरस स्थित सलेमपुर में लगभग 580 एकड़ भूमि भी शामिल है.
ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट में आए निवेशक.
अब तक सरकार ने जितना भी भूमि बैंक बनाया है, वह इन उद्योगों के लिए पर्याप्त है या नहीं यह तो बाद में ही पता चलेगा, लेकिन यह तय है कि सरकार को 35 लाख करोड़ के निवेश प्रस्तावों का लाभ तभी मिलेगा, जब यह उद्योग जमीन पर उतरें. इसके लिए और भी तमाम बाधाएं आएंगी, लेकिन सरकार इसे लेकर अभी तक जितनी गंभीर दिखाई दे रही है, उससे लगता है कि समस्याओं का समाधान भी खोज ही लेगी. उद्योग क्षेत्र से जुड़े विश्लेषक संदीप सक्सेना कहते हैं जमीनी स्तर पर अभी नौकरशाही के रुख में बदलाव की बहुत जरूरत है. कोई भी काम आसानी से सरकारी तंत्र नहीं करता. यह समस्या अब भी कायम है. सरकार को ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों पर नकेल कसनी होगी. साथ ही बिजली और सड़कों को लेकर और काम करना होगा, तभी सरकार का सपना साकार हो सकता है.
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