लखनऊ: कोरोना वायरस के कारण गैर जनपदों में फंसे मजदूरों के वापसी का सिलसिला जारी है. वहीं वापस लौटे मजदूरों को काम न मिलने पर वह बेरोजगार हो गए हैं, जिससे उनके सामने खाने का संकट पैदा हो गया है. इस समस्या को दूर करने के लिए शासन मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराने की मुहिम में लगा है.
राजधानी में भी वापस लौटे सभी मजदूरों और प्रवासियों को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है. मनरेगा के तहत लोगों को अधिकतम 100 दिन काम देने की तैयारी की जा रही है.
ग्राम प्रधानों की लापरवाही आई सामने
मुख्य विकास अधिकारी मनीष बंसल ने बताया कि जनपद में प्रतिदिन 40 हजार मजदूरों को कार्य देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन कुछ ग्राम पंचायतों में प्रधानों की लापरवाही से इस कार्य को शुरू नहीं किया गया है. इस समस्या के कारण बहुत से मजदूर रोजगार से वंचित रह गए हैं.
ग्राम प्रधानों को जारी किया गया नोटिस
मुख्य विकास अधिकारी के मुताबिक जनपद के 25 ग्राम प्रधानों को 95-G के तहत नोटिस भी जारी किया गया है. इसमें ग्राम प्रधानों के प्रति कोविड-19 के कारण लॉकडाउन से प्रभावित लोगों को रोजगार से वंचित रखने का आरोप लगाया गया है.
कई मजदूरों ने की शिकायत
मनीष बंसल ने बताया कि उनके पास ऐसी कई शिकायतें आई हैं कि ग्राम प्रधान के असहयोग के कारण मनरेगा की कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं लंबित हैं. इसकी वजह से मजदूर कार्य करने से वंचित रह गए हैं. ऐसे सभी ग्राम प्रधानों के जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि जांच में अगर आरोप सही पाए गए तो ऐसे सभी ग्राम प्रधानों को उनके पद से हटाया भी जा सकता है.