लखनऊःउत्तर प्रदेश में कृषि योग्य भूमि का उपयोग बदलने को लेकर उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता संशोधन अध्यादेश 2020 के ड्राफ्ट को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंजूरी दे दी है. इस ड्राफ्ट को मंजूरी मिलने से प्रदेश में कृषि योग्य भूमि का लैंड यूज बदलने से पहले बाउंड्री वाल बनाए जाने की अनिवार्यता समाप्त हो गई है.
राजस्व सहिंता में किया गया संशोधन
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 30-2 के तहत अब तक खेती की जमीन को गैर कृषि योग्य उपयोग के लिए चारों तरफ चारदीवारी बनाना जरूरी था. इस समस्या को देखते हुए योगी आदिनाथ सरकार ने पिछले दिनों कैबिनेट से प्रस्ताव पास करके यह व्यवस्था समाप्त कर दी थी. इसके बाद अब कैबिनेट मंजूरी मिलने के बाद इस अध्यादेश को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी मंजूरी प्रदान कर दी है. इस अध्यादेश के पास होने से उत्तर प्रदेश में कृषि योग्य जमीनों का लैंड यूज बदलने को लेकर जमीन पर चारदीवारी बनाने की अनिवार्यता पूरी तरह से समाप्त हो गई है.
कृषि भूमि का भू उपयोग बदलने के लिए राज्यपाल ने दी मंजूरी
उत्तर प्रदेश में कृषि योग्य भूमि का उपयोग बदलने को लेकर उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता संशोधन अध्यादेश 2020 के ड्राफ्ट को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंजूरी दे दी है. वहीं अब शासन की अनुमति के बिना 12 एकड़ से अधिक कृषि जमीन खरीदने पर इसे नियमित कराने के लिए सर्किल रेट का 10 फीसद जुर्माना देना पड़ेगा.
सर्किल रेट जुर्माना 50 से 10 फीसद किया गया
अध्यादेश के लागू होने के बाद अब शासन की अनुमति के बिना 12 एकड़ से अधिक कृषि जमीन खरीदने पर इसे भी नियमित कराने के लिए सर्किल रेट का 10 फीसद जुर्माना देना पड़ेगा. अभी तक ऐसा करने पर सर्किल रेट का 50% जुर्माना देने का प्रावधान था.
प्राधिकरण के स्तर पर भी हो सकेगा फैसला
अब अगर किसी ने राज्य सरकार की मंजूरी के बिना 12 एकड़ से ज्यादा कृषि जमीन खरीद ली और उस जमीन पर विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज या कोई अन्य संस्थान स्थापित करता है, तो राज्य सरकार उसे 10 फीसद जुर्माने से छूट प्रदान कर सकती है. अध्यादेश के मुताबिक ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे, नोएडा विकास प्राधिकरण को स्थानीय प्राधिकरण का दर्जा दे दिया गया है. अब कृषि योग्य जमीन का उपयोग बदलने को लेकर प्राधिकरण के स्तर पर भी फैसला हो सकेगा.