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आचार्य विनोबा भावे की करूणा और संवेदना से पूरी मानवता प्रभावित थी: राज्यपाल

आचार्य विनोबा भावे की 125वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित वेबिनार 'गांधी इन न्यू एरा-विनोबा जी' को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने संबोधित किया. इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि आचार्य विनोबा भावे को समाज कल्याण, दुखी एवं जरूरतमंदों के उत्थान हेतु किए गए कार्यों के लिये संत, आचार्य और ऋषि जैसी तीन विभूतियों से सम्मानित किया गया था.

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Published : Nov 8, 2020, 4:20 PM IST

लखनऊ: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने हरिजन सेवक संघ द्वारा आचार्य विनोबा भावे की 125वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित वेबिनार 'गांधी इन न्यू एरा-विनोबा जी' को आज राजभवन से संबोधित किया. उन्होंने कहा कि आचार्य विनोबा भावे के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से बहुत कुछ सीखा जा सकता है. उनकी पूरी जीवन-यात्रा समाज के उत्थान के लिए थी.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि आचार्य विनोबा द्वारा बताई गई बातें लोगों को सही और सफल मार्ग पर ले जाने में सहायक हैं. आचार्य विनोबा भावे करूणाशील व्यक्ति थे, जिनकी करूणा और संवेदना से पूरी मानवता प्रभावित थी. आचार्य विनोबा भावे का कहना था कि, 'नेतृत्व वही सफल हो सकता है, जो सबको साथ लेकर, सबका अपना होकर चले'.

महापुरुषों की कीर्ति युगों तक रहती है कायम
राज्यपाल ने कहा कि महापुरुषों की कीर्ति किसी एक युग तक सीमित नहीं रहती है बल्कि उसकी प्रांसगिकता युगों-युगों तक कायम रहती है. समाज उनके विचारों से सदैव मार्गदर्शन प्राप्त करता रहता है. आचार्य विनोबा भावे ने गांधी जी के मार्ग को अपनाया और जीवनभर वह उनके आदर्शों पर चलते रहे. संत स्वभाव के होने के बावजूद आचार्य विनोबा भावे में राजनीतिक सक्रियता भी थी. उन्होंने सामाजिक अन्याय और धार्मिक विषमता का मुकाबला करने के लिए देश की जनता को स्वयंसेवी होने का आह्वान किया. समाचार पत्र 'महाराष्ट्र धर्म' के माध्यम से भी आचार्य विनोबा भावे ने देशवासियों में स्वतंत्रता की अलख जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया.

जरूरतमंदों की सेवा से आचार्य और संत कहलाए
राज्यपाल ने कहा कि आचार्य विनोबा भावे को समाज कल्याण, दुखी एवं जरूरतमंदों के उत्थान हेतु किए गए कार्यों के लिये संत, आचार्य और ऋषि जैसी तीन विभूतियों से सम्मानित किया गया था. उन्होंने कहा कि देश के स्वतंत्र होने के बाद आचार्य विनोबा भावे ने भूदान और सर्वोदय आन्दोलन के माध्यम से समाज सुधार के स्वैच्छिक आन्दोलन की शुरुआत की. आचार्य विनोबा भावे का मानना था कि भूमि का पुनर्वितरण सिर्फ सरकारी कानूनों के जरिए न हो, बल्कि जनभागीदारी के माध्यम से इसे सफल बनाया जाए.

चंबल के डाकुओं ने प्रभावित होकर किया था आत्मसमर्पण
राज्यपाल ने कहा कि विनोबा भावे ने पूरे देश में स्वयं जाकर लोगों से भूमिखण्ड दान करने का आह्वान किया, जिससे प्राप्त भूमि को भूमिहीनों को देकर उनका जीवन सुधारा जा सके. विनोबा भावे ने इस आंदोलन के माध्यम से देशभर में 50 लाख एकड़ जमीन दान में प्राप्त कर भूमिहीनों को बंटवाई थी. उन्होंने कहा कि विनोबा भावे की जन नेतृत्व क्षमता और व्यक्तित्व से प्रभावित होकर चम्बल के 20 डाकुओं ने आत्मसमर्पण किया था. इस अवसर पर हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार सान्याल, सचिव डॉ. रजनीश कुमार, प्रो. एन राधाकृष्णन सहित अन्य लोग भी आनलाइन जुड़े हुए थे.

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