लखनऊ : कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने तबाही मचा कर रख दी है. संक्रमण के बढ़ते मामले और उससे होने वाली मरीजों की मृत्यु को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों कर्मचारियों को राहत पहुंचाने के लिए एक घोषणा की. इसके तहत चिकित्सा प्रतिपूर्ति के नियमों के तहत राज्य कर्मचारी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीद सकेंगे. मुख्यमंत्री की मंशा कर्मचारियों को राहत पहुंचाने की थी लेकिन शासन ने अब तक इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया है.
टीम-9 की बैठक में सात मई को की थी घोषणा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत सात मई को टीम-9 के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक में यह घोषणा की कि राज्य कर्मचारी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर चिकित्सा प्रतिपूर्ति के नियमों के तहत खरीद सकेंगे. सीएम योगी ने अधिकारियों को तत्काल इस संबंध में आदेश जारी करने के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद अभी तक शासनादेश जारी नहीं हो सका है.
इससे कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति है. उनके सामने सवाल है कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदने के बाद प्रतिपूर्ति कैसे होगी ? अगर भविष्य में विभाग उसकी प्रतिपूर्ति नहीं करता तो कर्मचारी किस आधार पर अपनी बात रख पाएंगे ? शासनादेश जारी होने के बाद उनके पास नियमों की जानकारी के साथ-साथ प्रमाण भी होंगे. अगर विभाग बाद में उक्त धनराशि देने से मना करता है और कंसंट्रेटर खरीदने के लिए खर्च की गई धनराशि की वापसी नहीं होती तो कर्मचारी अपनी मांग रख सकेंगे.
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ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जरूरी क्यों ?
दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के अस्पतालों में अव्यवस्था देखने को मिली. अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी की वजह से तमाम लोगों की जान चली गई. सरकार के हाथ-पांव फूल गए. ऑक्सीजन की व्यवस्था करने में सरकार को अलग से पूरी ताकत झोंकनी पड़ी. इसी बीच ऑक्सीजन कंसंट्रेटर विकल्प के तौर पर आया. इसमें किसी ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत नहीं होती है. यह वातावरण से ऑक्सीजन लेकर मरीज की जान बचा सकता है.
यह होम आइसोलेशन में रहकर इलाज कराने वाले मरीजों के लिए तो बहुत ही कारगर है. इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है. इसकी 40 से 50 हजार के आसपास कीमत है. इसीलिए मुख्यमंत्री ने चिकित्सा प्रतिपूर्ति के माध्यम से राज्य कर्मचारियों को व्यवस्था देने का एलान किया. इससे करीब 15 लाख राज्य कर्मचारियों का फायदा होगा.
क्या कहते हैं कर्मचारी संगठन
उत्तर प्रदेश सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र कहते हैं कि मुख्यमंत्री ने तो इसकी घोषणा कर दी लेकिन अभी तक शासनादेश जारी नहीं हुआ है. जब तक शासनादेश जारी नहीं होता, तब तक कर्मचारियों को भरोसा नहीं होगा कि उन्हें प्रतिपूर्ति के माध्यम से इसका पैसा वापस मिल जाएगा. कर्मचारियों का डर लाजमी है क्योंकि तमाम विभागों को मिलाकर करोड़ों रुपये कर्मचारियों के फंसे हुए हैं. प्रतिपूर्ति के तहत उनका भुगतान होना था लेकिन नहीं किया गया.
क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि अभी तक शासनादेश जारी नहीं हुआ है. इसकी प्रक्रिया चल रही है. उम्मीद है कि जल्द आदेश जारी कर दिया जाएगा.