लखनऊ : राज्य भर में जीएसटी की कार्रवाई में करीब 200 करोड़ से अधिक की कर चोरी पकड़ी गई. लेकिन सरकार पॉलिटिकल रूप से बड़े सियासी नुकसान के डर से बैकफुट पर आ गई है. सरकार के निर्देश के बाद विभाग ने छापेमारी पर रोक लगा दी है. पिछले कई साल में ऐसा पहली बार हुआ कि जब इतनी बड़ी कार्रवाई प्रदेश में एक साथ हुई हो. पहले कार्रवाई शुरू कराकर डर का माहौल बनाया गया, लेकिन कार्रवाई ने तेजी पकड़ी तो विरोध में व्यापारियों ने आवाज बुलंद कर दी. व्यापारियों की चेतावनी के बाद स्थिति बदल चुकी है.
शासन के सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद ही उत्तर प्रदेश में जीएसटी विभाग की बड़ी छापेमारी प्रदेश भर में एक साथ शुरू हुई थी. 1000 से अधिकारी कर्मचारियों और पुलिस बल की उपस्थिति में प्रदेश भर में व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर कार्यवाही शुरू की गई. इस कार्यवाही में ₹200 करोड़ से अधिक की बड़ी टैक्स चोरी मिली. 11 करोड़ से अधिक का सामान जब्त करने की कार्यवाही हुई और जुर्माने के रूप में करीब 17 करोड़ रुपये का टैक्स जमा कराया गयाॉ. कार्यवाही तेजी पकड़ रही थी. इसी बीच तमाम शहरों के व्यापारियों ने बाजार बंद कर दिए और कार्यवाही का विरोध करने लगे. कई बड़े व्यापारी नेताओं की तरफ से भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात का सिलसिला शुरू हुआ और इस कार्यवाही को रोकने की मांग की गई. कहा गया व्यापारी वर्ग बीजेपी का सबसे बड़ा वोट बैंक है और निकाय चुनाव होने वाले हैं. जल्द ही अधिसूचना जारी हो सकती है, ऐसी स्थिति में अगर यह कार्यवाही जारी रही तो फिर हम हमसे वोट मांगने आइएगा.
उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता ने लखनऊ से सांसद और देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में जीएसटी की कार्यवाही पूरे प्रदेश में तत्काल प्रभाव से रुकवाने की मांग के साथ सियासी खामियाजा भुगतना की चेतावनी दी गई. वहीं दूसरी तरफ कई शहरों से भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष व अन्य विधायक सांसदों की तरफ से बीजेपी नेतृत्व को यह जानकारी दी गई कि इस कार्यवाही से व्यापारियों का उत्पीड़न हो रहा है. भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही हैं, अगर इसे बंद नहीं कराया गया तो निकाय चुनाव में व्यापारियों का साथ मिलना मुश्किल हो जाएगा.