लखनऊ: बिजनेस रिफॉर्म्स एक्शन प्लान के कार्यान्वयन में राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त करके ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में अभूतपूर्व प्रगति के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने अब न केवल व्यवसायों बल्कि नागरिक-केंद्रित सेवाओं पर भी विनियामक अनुपालनों के भार (रेग्यूलेटरी कम्पलयंस बर्डन) को कम करने के लिए कार्यवाही तेज कर दी है. इस संबंध में उद्योग संवधन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी), भारत सरकार ने राज्य की निवेश प्रोत्साहन एजेंसी ‘इन्वेस्ट यूपी’ के सहयोग से आज यहां योजना भवन में ‘विनियामक अनुपालन भार को कम करने’ के विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया.
सरकार का ध्यान नागरिक-केंद्रित सेवाओं और अनुपालनों पर केंद्रित
इस अवसर पर विभिन्न विभागों के लगभग 80 अधिकारियों को संबोधित करते हुए अपर मुख्य सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास अरविंद कुमार ने कहा कि उद्योगों व उद्यमों के लिए व्यवसाय में सुगमता में सुधार के अतिरिक्त अब सरकार नागरिक-केंद्रित सेवाओं और अनुपालनों पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि ‘जीवनयापन में सुगमता’ (ईज आफ लिविंग) में सुधार हो सके. अरविन्द कुमार ने विभागों से युद्धस्तर पर इस कार्यक्रम पर कार्यवाही करने का आह्वान किया. क्योंकि उत्तर प्रदेश को सबसे अधिक अनुपालन वाले राज्यों में से एक के रूप में चिन्हित किया गया है.
पोर्टल से होगी निगरानी
डीपीआईआईटी का प्रतिनिधित्व करते हुए इन्वेस्ट इण्डिया के अधिकारियों ने बताया कि राज्यों और उनके विभागों के लिए एक समर्पित पोर्टल शुरू किया गया है ताकि उन अनुपालनों को चिन्हित और अपलोड किया जा सके जिन्हें कम किया जा सकता है. इस पोर्टल में मुख्य सचिव के लिए प्रत्यक्ष समीक्षा और निगरानी के लिए डैश बोर्ड होगा. कम किए जाने वाले अनुपालनों को चिन्हित करने के तकनीकी पहलुओं और प्रक्रिया को नोडल अधिकारियों को विस्तार से बताया गया.
26 विभागों से सम्बंधित अनुपालन पोर्टल पर अपलोड
सचिव औद्योगिक विकास तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) इन्वेस्ट यूपी नीना शर्मा ने बताया कि इन्वेस्ट यूपी द्वारा 26 विभागों से संबंधित लगभग 120 अनुपालनों को पहले ही पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है, किन्तु अब विभागीय नोडल अधिकारियों को इस कार्य को करने के लिए यूजर आईडी और पासवर्ड प्रदान किए जाएंगे. सूचित किया गया कि इस कार्यक्रम को दो चरणों में विभाजित किया गया है, पहला चरण 31 मार्च, 2021 को समाप्त होगा और दूसरा चरण 15 अगस्त, 2021 तक होगा. प्रत्येक विभाग को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस तथा ईज ऑफ लिविंग से संबंधित अनुपालनों को चिन्हित करने और कम करने के लिए कार्य योजना प्रस्तुत करनी होगी. इसके बाद साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे.