लखनऊ.यूपी के निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीटों पर अब सरकार का नियंत्रण होगा. इससे गरीब छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी क्योंकि सरकार नियंत्रित 50 फीसदी सीटों पर अब सरकारी कॉलेजों के समान ही छात्रों को फीस देनी होगी.
केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद अब राज्य के निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीटों पर सरकारी शुल्क के जरिए दाखिले का प्लान तैयार किया जा रहा है. सरकारी कॉलेजों में सालाना फीस जहां मात्र 36 हजार हैं, वहीं निजी क़ॉलेजों में समान पढ़ाई के लिए सालाना फीस 13 लाख हैं.
सरकार नियंत्रित 50 फीसदी सीटों पर छात्रों का चयन यानी कि दाखिला नीट काउंसिलिंग के जरिये ही होगा. यूपी में 31 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं जबकि 29 प्राइवेट कॉलेज हैं. इनमें चार माइनॉरिटी मेडिकल कॉलेज हैं. चिकित्सा शिक्षा के संयुक्त निदेशक डॉ बीडी सिंह के मुताबिक यह व्यवस्था अगले सत्र से लागू होगी. उन्होंने बताया कि अगले सत्र से निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीट रिजर्व होंगी.
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विशेषज्ञ समिति ने दी सिफारिश
केंद्र सरकार ने एनएमसी की पूर्व संस्था मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से मेडिकल शिक्षा की फीस को निर्धारित करने को कहा था. इस आधार पर एमसीआई के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने 23 नवंबर 2019 को विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. इसी समिति ने 26 बिंदुओं पर फीस निर्धारण के लिए व्यापक दिशा-निर्देश तय किए हैं.
इसे 25 मई 2021 को एनएमसी की वेबसाइट पर सुझाव के लिए अपलोड किया गया था. इस पर करीब 1800 प्रतिक्रियाएं व सुझाव काउंसिल को मिले. इन सुझावों पर विचार विमर्श करने के लिए एनएमसी ने फिर से एक तकनीकी समिति का गठन किया जिसने 29 दिसंबर 2021 को अंतिम रिपोर्ट सौंपी. अब इस रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार ने निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीटों को सरकारी कॉलेजों के अनुरूप ही फीस लेने का फैसला किया है.