लखनऊ: पौराणिक इतिहास समेटे जीवनदायिनी गोमती नदी के अस्तित्व पर संकट मंडराता नजर आ रहा है. विगत 3 माह के भीतर गोमती नदी में तीन बार जलकुंभी की सफाई हो चुकी है इसके बावजूद जलकुंभी लगातार बढ़ रही है, जिसके कारण नदी का प्रवाह कम हो गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि गोमती नदी में आने वाले समय में प्रवाह नहीं बढ़ा तो 20-25 वर्षों में गोमती नदी विलुप्त हो जाएगी.
बता दें, पीलीभीत जनपद के माधव टांडा गोमुख ताल में भूगर्भ जल के स्रोत से निकलने वाली गोमती नदी पूरे प्रदेश में 950 किलोमीटर की यात्रा करते हुए गाजीपुर जनपद के सैदपुर में गंगा नदी में मिलती है. इस 950 किलोमीटर की यात्रा में गोमती नदी लगभग 12 जनपद से होकर गुजरती हैं जिनमें पीलीभीत, लखनऊ, सीतापुर, बाराबंकी, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, जौनपुर, गाजीपुर प्रमुख जनपद हैं.
खतरे में गोमती का अस्तित्व क्या कहते हैं विशेषज्ञलखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व भूगर्भ विज्ञान के विशेषज्ञ प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह ने बताया कि भारत में तीन तरह की नदियां पाई जाती हैं. एक वह नदियां जो ग्लेशियर से निकलती हैं, जैसे गंगा. वहीं कुछ नदियां ऐसी हैं, जो भूगर्भ जल के स्रोत से निकलती हैं. जिनमें गोमती नदी प्रमुख है और कुछ नदियां ऐसी हैं जो बरसात के पानी से निकलती हैं. जिसमें कृष्णा और कावेरी नदी आती हैं. पूरे देश में लगातार ग्राउंड वॉटर लेवल नीचे जा रहा है और खासकर उत्तर प्रदेश में बहुत तेजी से नीचे जा रहा है. प्रोफेसर ध्रुवसेन के मुताबिक लखनऊ के आसपास के 40 बड़े नाले और खासकर लखनऊ के ही 28 बड़े नाले गोमती नदी में गिर रहे हैं. जिसके कारण गोमती नदी में जलकुंभी बढ़ रही है. हालांकि जलकुंभी की सफाई तो की जाती है पर कुछ दिनों में जलकुंभी फिर से पनप जाती हैं.
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कम हो रहा वॉटर लेवल
गोमती सफाई अभियान के निदेशक डॉ. आरके अग्रवाल ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि गोमती नदी का वॉटर लेवल लगातार गिर रहा है. पहले सामान्य तौर पर गोमती नदी का जलस्तर 136.7 मीटर रहता था. लेकिन कुछ दिनों पहले ये 136.1 तक पहुंच गया था. जिसके बाद अभी हाल ही में नदी में जलकुंभी पाए जाने के बाद पानी छोड़ा गया, जिसके बाद गोमती नदी का जलस्तर 136.9 मीटर हो गया है.
न्यूनतम स्तर पर पहुंचा ऑक्सीजन लेवल
काउंसिल ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एस एम प्रसाद ने बताया कि गोमती नदी के भीतर जलीय जीव ऑक्सीजन के न्यूनतम स्तर के कारण लगभग समाप्त होने के कगार पर हैं. गोमती नदी में जिस तरह नाले का पानी गिर रहा है, उसके कारण नदी का प्रदूषण स्तर भी लगातार बढ़ रहा है और प्रदूषित जल में जलकुंभी पनपती है. गोमती नदी के जल में फर्मेंटेशन की प्रक्रिया होती रहती है और कार्बन डाइऑक्साइड गैस ज्यादा उत्सर्जित होती है. एस एम प्रसाद ने बताया कि 1990 के बाद राजधानी लखनऊ में हुए शहरीकरण से निकलने वाले सीवेज के कारण गोमती नदी लगातार प्रदूषित होती चली गई और आज गोमती नदी से दुर्गंध आती है.