लखनऊ : लोगों को गजलें, नज्में और शेर पढ़ना सुनना काफी पसंद आता है. हमारे देश में कई ऐसे प्रसिद्ध शायर व गजल गायक हुए हैं जिनको आज भी लोग बड़ी शिद्दत से सुनना वह पढ़ना पसंद करते हैं. पर हर कोई इतना खुशकिस्मत नहीं होता कि व गालिब की शायरी और उनके नज्मों को पढ़ या सुन सके. विशेष तौर पर दिव्यांग (देख व सुन की क्षमता नहीं है) ऐसे ही लोगों के लिए राजधानी लखनऊ के एक संस्था मीत वेलफेयर फाउंडेशन की ओर से दो दर्जन से अधिक शायर, कवि और गीतकारों के कलाम को ब्रेल लिपि में तैयार किया गया है. जिससे देखने और सुनने की क्षमता नहीं रखने वाले व्यक्ति भी आसानी से इन महान शायरों की लिखी शायरियां आसानी से पढ़ सकेंगे. मीत वेलफेयर फाउंडेशन की ओर से तैयार ब्रेल लिपि किताबों को न केवल राजधानी बल्कि देश के उन सभी शिक्षक संस्थानों को भेजा जा रहा है जहां पर दिव्यांग छात्र पढ़ते हैं. संस्था की ओर से यह किताबें उन्हें मुफ्त में मुहैया कराई जाती हैं.
ब्रेल लिपि के बारे में सर्च किया फिर किताबें लिखीं
रोहित ने बताया कि मैंने इस बारे में अपने गुरु को बताया तो उन्होंने सबसे पहले मुझे ब्रेल लिपि के बारे में जानकारी करने को कहा. क्योंकि दिव्यांग वह दृष्टिबाधित लोग ब्रेल लिपि के माध्यम से आसानी से किताबें पढ़ते हैं. इस पर काफी रिसर्च करने के बाद धीरे-धीरे मैंने उर्दू शायरों की किताबें व उनकी रचनाओं को ब्रेल लिपि में तैयार करना शुरू कर दिया. रोहित ने बताया कि अब तक तकरीनब 2500 ब्रेल लिपि में तैयार काव्य साहित्य दृष्टिबाधित लोगों तक पंहुचाया गया. मेरी ओर से तैयार की गई किताबें लखनऊ सहित देशभर के दृष्टिबाधित स्कूलों, संस्थाओं के माध्यम से शायरी की किताबे पंहुचायी जा रही हैं. खास कर उन दृष्टिबाधित दिव्यांगों तक जिनकी रुचि शेर-ओ-शायरी में है.