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वन विभाग की फर्जी नियुक्ति निकालकर करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश - up stg

राजधानी लखनऊ में यूपी एसटीएफ की टीम ने 3 ठगों को गिरफ्तार किया है. ये ठग वन विभाग उत्तर प्रदेश में वन दारोगा, वनरक्षक और वनपाल की फर्जी भर्ती निकालकर कूट रचित नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र देकर करोड़ों रुपयों की ठगी करके घूम रहे थे.

लखनऊ में ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश
लखनऊ में ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश

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Published : Sep 4, 2021, 8:16 PM IST

लखनऊ: हजरतगंज कोतवाली में ठगी के दर्ज मुकदमे में यूपी एसटीएफ की टीम ने शनिवार को 3 आरोपियों को गिरफ्तार करने का दावा किया है. यह आरोपी वन विभाग उत्तर प्रदेश में वन दारोगा, वनरक्षक और वनपाल की फर्जी भर्ती निकालकर कूट रचित नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र देकर करोड़ों रुपयों की ठगी करने का गिरोह चला रहे थे. इसमें सरगना सहित 3 लोगों की गिरफ्तारी करने में सफलता मिली है. पकड़े गए आरोपियों की पहचान शिवम मेहरोत्रा निवासी सीतापुर, आनंद कुमार सिंह बाराबंकी और परीक्षित पांडे अंबेडकर नगर के रूप में हुई है.

आरोपियों के पास से 11 एटीएम कार्ड, 5 मोबाइल फोन, 3 आधार कार्ड, 3 पैन कार्ड, 45 उपस्थित सूचना पत्र, 5 शपथ पत्र, 50 परिचय पत्र और आवेदन पत्र, 56 कूट रचित नियुक्ति पत्र वन विभाग उत्तर प्रदेश में वन दरोगा वनरक्षक वनपाल पद के लिए, 77 लिफाफा वन विभाग उत्तर प्रदेश का मोनोग्राम छपा हुआ, 396 मार्कशीट के आधार और परिचय पत्र की छाया प्रति, 3 कूट रचित परिचय पत्र वन दरोगा और वनरक्षक पद के लिए, 7 पासबुक/चेक बुक, 3 वन विभाग उत्तर प्रदेश की मुहर, 90 विभिन्न प्रकार के प्रति आदेशों की प्रतियां, एक ड्राइविंग लाइसेंस, एक निर्वाचन कार्ड, एक रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, ठगी से प्राप्त रुपयों से खरीदी गई गाड़ी और 2535 रुपये नगद बरामद हुए हैं.


अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ उत्तर प्रदेश विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों द्वारा ठगी का पूरा गिरोह चलाया जा रहा था. यह आरोपी ठगी के लिए वन दारोगा, वनरक्षक और वनपाल के फर्जी भर्ती निकालकर उनको कूट रचित नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र देकर करोड़ों की ठगी करने का काम कर रहे थे. आरोपियों की गिरफ्तारी लखनऊ से ही की गई है. इन आरोपियों के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया था. अपर पुलिस अधीक्षक का कहना है कि आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद उनसे पूछताछ की गई है. पूछताछ में उन्होंने किस तरीके से घटना की जाती है, इसका भी खुलासा किया है.

एसटीएफ की पूछताछ में आरोपी शिवम मेहरोत्रा ने बताया कि साल 2017 में बलिया रेंज वन विभाग ऑफिस में उसकी नियुक्ति संविदा पर कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर हुई थी. साल 2017 में पलिया रेंज में फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती हुई थी, जिनके नियुक्ति पत्र जारी हुए थे. उनकी एक प्रति शिवम ने अपने पास रख ली थी. 2018 में बलिया रेंज से संविदा पर नियुक्त कंप्यूटर ऑपरेटर को निकाल दिया गया था. इसके बाद नौकरी की तलाश में शिवम लखनऊ आ गया था. लखनऊ के कैसरबाग स्थित क्विक मैनपॉवर कंसलटेंसी के ऑफिस में उसकी मुलाकात अरविंद यादव से हुई थी. अरविंद भी नौकरी की तलाश कर रहा था, उससे शिवम की अच्छी मित्रता हो गई. कई महीनों तक नौकरी न मिलने पर शिवम और अरविंद ने मिलकर एक प्लान बनाया था. शिवम के पास वन विभाग का नियुक्ति पत्र है और कुछ आदेश भी उसके पास है. जिनसे मिलते जुलते यह आरोपी आदेश बनाकर वन विभाग में भर्ती निकालकर कूट रचित नियुक्ति पत्र जारी कर देंगे. लोगों से भर्ती कराने के नाम पर वन दरोगा पद के लिए 3 लाख रुपये, वनरक्षक और वनपाल के लिए 1.5 लाख रुपये लोगों से वसूल लेंगे. इसके बाद अरविंद ने उसकी मुलाकात आनंद सिंह, परीक्षित पांडे, देवेंद्र पांडे और विजय सिंह से कराई थी. साल 2018 से अब तक इन लोगों ने 35-40 लोगों को फर्जी नियुक्ति पत्र देकर एक करोड़ रुपए की ठगी की है.

शिवम ने एसटीएफ को बताया कि वह नियुक्ति पत्र और परिचय पत्र बना लेता था. इन पर अलग-अलग रेंज के अनुसार अरविंद यादव, आनंद सिंह, परीक्षित पांडे, देवेंद्र पांडे और विजय सिंह हस्ताक्षर बनाकर कैंडिडेट को देकर पद के अनुसार 1.5 लाख से 3 लाख तक रुपये ले लेते थे. जिसके माध्यम से कैंडिडेट आता था उससे और शिवम के बीच रुपए आधे-आधे बांट लिए जाते थे. गिरोह में शामिल लोग शिवम को कैंडिडेट से कंजरवेटर बताकर परिचित कराते थे. जिससे लोग विश्वास करके भर्ती होने के लिए तैयार हो जाते थे. राम गोपाल तिवारी के पुत्र और रिश्तेदारों से शिवम ने अपने साथियों के साथ मिलकर लगभग 36 लाख रुपए लिए थे. जिसके संबंध में मुकदमा हजरतगंज कोतवाली में दर्ज हुआ था. इसके बाद से ही यह पूरा गिरोह छिपा हुआ था.

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