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लखनऊ: न घर वापसी, न बाजार में कमाई, मुश्किल में फल विक्रेता

कोरोना से बचने के लिए लॉकडाउन जारी है. बाजार पूरी तरह से बंद हैं. राशन-पानी, फल-सब्जी और दवाई आदि आवश्यक सामानों की दुकाने ही खुल रही हैं. ऐसे में राजधानी लखनऊ में ईटीवी भारत ने फल विक्रेताओं से उनके हालात जानने की कोशिश की.

मुश्किल में फल विक्रेता
मुश्किल में फल विक्रेता

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Published : Apr 25, 2020, 8:28 PM IST

लखनऊ:पूरे देश में 25 मार्च से शुरू हुए देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि 3 मई तक जारी रहेगी. इस दौरान जरूरी सुविधाएं सरकार मुहैया करवाने के तमाम प्रयास कर रही है, लेकिन इन सबके बीच उन जरूरी सुविधाओं के जारी होने में भी कुछ लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. इन लोगों में सबसे ज्यादा परेशानी फल विक्रेताओं को हो रही है, क्योंकि फलों की बिक्री काफी कम हो गई है.

मुश्किल में फल विक्रेता

फल विक्रेताओं की माने तो सड़कों पर सन्नाटा है. लोग दिखते नहीं हैं और अगर दिखते हैं तो सब्जी लेने अधिक जाते हैं. इक्का-दुक्का लोग ही आकर फल लेकर जा रहे हैं. इसके अलावा अगर घर वापसी की सोंचे तो लॉकडाउन में यह भी मुमकिन नहीं है. ऐसे में फलों को लगाकर ही गुजारा भत्ता चलाना पड़ रहा है.

ठेले पर फल लगाकर बेचने वाले एक दुकानदार ने हमें बताया कि सबसे बड़ी परेशानी यह है कि ज्यादा दिन हो जाने के बाद फल सड़ने लगते हैं. ऐसे में यह तो उन्हें कम दाम पर बेचना पड़ता है या फिर जानवरों को खिला देना पड़ता है. ऐसे में हमारी बिक्री पर बहुत असर पड़ता है.

दूसरी ओर एक अन्य दुकानदार कहते हैं कि लॉकडाउन में यहां अकेले रहते हैं. सिद्धार्थनगर के रहने वाले हैं. ऐसे में वापस जाने का भी कोई चारा नहीं बचा है. फल लगाकर ही दिन का खर्चा चलता है. परेशानी यह है कि पहले फल लोग बड़े आराम से खरीद लेते थे और दिन भर की कमाई से कुछ बच जाता था. वह भी अब मुश्किल हो रहा है.

वहीं पास ही खड़े एक दुकानदार ने बताया कि लॉक डाउन में सबसे बड़ी परेशानी फलों को लाने की है. दिनभर सन्नाटा रहता है और खरीदारी नाम मात्र की हो पाती है. ऐसे में हमें अपनी खरीद-फरोख्त करने में भी बड़ी मुश्किल हो रही है.बमुश्किल ही अपना खर्च निकलता है.

ठेले और रेहड़ी लगाने वाले तमाम ऐसे दुकानदार दिन भर सड़कों पर इस आस में बैठे रहते हैं कि कुछ कमाई हो जाए, ताकि उन्हें रात में दाल रोटी नसीब हो सके, लेकिन लॉकडाउन में यह बेड़ियां भी उनके पांव पड़ी हैं.

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