लखनऊ:लोहिया संस्थान में लोहिया अस्पताल के विलय के ढाई साल हो गए हैं. लेकिन यहां गरीब व जरूरतमंद मरीजों के इलाज को लेकर खासा दिक्कतें पेश आ रही है. अस्पताल में पहले जहां एक रुपये के पर्चे पर मरीजों को चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया होती थी, वहीं अब इसके लिए उन्हें 100 रुपये के पर्चे कटाने होंगे. साथ ही उन्हें सभी सेवाओं का अलग से शुल्क भी देना होगा. लेकिन इन सब के बीच यहां गर्भवती महिलाओं और नवजातों का जननी सुरक्षा योजना के तहत फ्री में उपचार होगा. अस्पताल को इसका भुगतान एनएचएम के माध्यम से सरकार करेगी.
दरअसल, लोहिया संस्थान में एमबीबीएस की मान्यता को पास में संचालित लोहिया अस्पताल का विलय कर दिया गया था. 2019 में 467 बेडों वाले लोहिया अस्पताल के विलय के बाद भी यहां एक रुपये के पर्चे पर मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराया जाता रहा. लेकिन जब मरीज संस्थान में शिफ्ट होता था तो उससे सुपर स्पेशियलिटी के तय शुल्क लिए जाते थे. मगर, अब दोनों ही जगहों पर इलाज के लिए 100 रुपये के पर्चे लेने होंगे. साथ ही जांच व दवाओं के भी अब अलग से शुल्क लगेंगे.
अस्पताल की ओपीडी में हर रोज चार से पांच हजार के करीब मरीज इलाज के लिए आते हैं. यहां के मेडिसिन, जनरल सर्जरी, आर्थोपेडिक, ईएनटी, नेत्र रोग, नेत्रों, त्वचा रोग विभाग, मनोरोग, महिला रोग विभाग, टीबी एंड चेस्ट, रेडियोलॉजी व पैथोलॉजी विभाग की सेवाएं एक रुपये के पर्चे पर फ्री में मिल रही थी. लेकिन अब यहां हर माह डेढ़ लाख मरीजों को महंगे इलाज का सामना करना होगा.