लखनऊ: राजधानी में साइबर जालसाज ने एक बार फिर डॉक्टर को निशाना बनाया है. जालसाज ने डॉक्टर को फर्जी नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिया. उसके एवज में डॉक्टर सुजीत पाठक से ठग ने 50 हजार रुपये भी ऐंठ लिए हैं. जालसाज ने डॉक्टर को शहीद पथ स्थित एक नामचीन हॉस्पिटल में नियुक्ति पत्र का डिजिटल हस्ताक्षर बनाकर दिया था. जिसके विश्वास में आने के बाद डॉक्टर ने उनके दिए गए खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया, लेकिन जब ट्रेनिंग के नाम पर उनसे दोबारा 12 हजार रुपये की डिमांड की गई तो उन्हें शक हुआ. जिसके बाद उन्होंने हॉस्पिटल आकर मिलने के लिए कहा. उसके बाद से ही जालसाज ने अपना मोबाइल नंबर बंद कर लिया. डॉक्टर ने पीजीआई कोतवाली में पहुंचकर मुकदमा दर्ज कराया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
नामचीन हॉस्पिटल का एचआर बताकर डॉक्टर को लगाया 50 हजार का चूना - पीजीआई कोतवाली
राजधानी लखनऊ में डॉक्टर के साथ 50 हजार रुपये ऐंठने का मामला सामने आया है. डॉक्टर ने पीजीआई कोतवाली में पहुंचकर मुकदमा दर्ज कराया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
जानकारी के मुताबिक, डॉ. सुजीत पाठक पीजीआई कोतवाली क्षेत्र के नीलमथा निवासी हैं. सुजीत पाठक ने अपने डिग्री कंप्लीट करने के बाद कई माह नौकरी के लिए कई अस्पतालों में अपना आवेदन पत्र दिया था. लेकिन कहीं से भी उनको नौकरी के लिए कोई कॉल नहीं आया. इसी बीच 20 जुलाई को एक शख्स ने उनको फोन किया और खुद को एक नामचीन हॉस्पिटल का एचआर हेड बताया. फोन करने वाले ने सुजीत पाठक का ऑनलाइन ही इंटरव्यू लिया. उसके बाद अगले दिन इंटरव्यू में पास होने की बात कहकर उसको एक नामचीन हॉस्पिटल की मिलती-जुलती आईडी से हॉस्पिटल निदेशक के डिजिटल हस्ताक्षर बनाकर नियुक्ति पत्र भेज दिया. नियुक्ति पत्र के एवज में डॉक्टर से सिक्योरिटी मनी के रूप में 50 हजार रुपये बैंक खाते में जमा करा लिए. कुछ दिन बाद ही जालसाज ने डॉक्टर को फिर फोन किया और ट्रेनिंग के नाम पर 12 हजार रुपयों की डिमांड की. इसी बात पर डॉक्टर को शक हुआ और उन्होंने हॉस्पिटल आकर मिलने की बात कही. उसके बाद से ही जालसाज ने अपना मोबाइल नंबर बंद कर दिया.
पीजीआई कोतवाल आनंद कुमार शुक्ला ने बताया कि नीलमथा के रहने वाले डॉ. सुजीत पाठक ने शिकायती पत्र दिया. डॉक्टर को शहीद पथ स्थित एक नामचीन हॉस्पिटल का एचआर हेड बताते हुए फोन आया था. जिसमें उसने बताया कि उनकी सीवी जालसाज को मिली. फोन करने वाले ने उनका ऑनलाइन इंटरव्यू भी लिया, इसके बाद अगले दिन हॉस्पिटल निदेशक के डिजिटल हस्ताक्षर बनाकर उनको एक नियुक्ति पत्र भी मेल के जरिए भेजा गया. इसके एवज में उनसे 50 हजार रुपये सिक्योरिटी मनी के रूप में जमा कराया गया. लेकिन उसके कुछ ही दिन बाद फिर उसी नंबर से फोन आया और कहा गया कि 12 हजार रुपये फिर से खाते में जमा कराइए क्योंकि यह ट्रेनिंग की फीस जमा हो रही है. इस बात पर डॉक्टर को शक हुआ और उन्होंने हॉस्पिटल आकर बात करने की बात कही. तभी जालसाज ने अपना नंबर बंद कर लिया. फिलहाल पीड़ित की तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. मामले की जांच शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा इस मामले में सायबर क्राइम सेल की भी मदद ली जाएगी.