लखनऊ:मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने कड़े नियम बनाए हैं. इसमें एमबीबीएस सीटों के लिहाज से हॉस्पिटल में बेड भी तय किए गए हैं ताकि छात्र बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें. इन नियमों की धज्जियां सरकारी मेडिकल कॉलेज में ही उड़ाई जा रहीं हैं.
राजधानी स्थित लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (Lohia Institute of Medical Sciences Lucknow) में यह कारनामा किया गया. यहां कागजों पर बेड दिखाकर मान्यता का खेल किया गया. वहीं, स्थिति यह है कि 200 एमबीबीएस सीटों के लिए 830 के निर्धारित मानदंडों के सापेक्ष अस्पताल में केवल 430 बेड ही हैं. यही नहीं, कम बेड होने पर मरीजों को भी भर्ती होने के लिए भटकना पड़ रहा है.
विभागों में बेड का खेल समझिए :वर्तमान में लोहिया संस्थान के मेडिसिन विभाग में 130 बेड हैं. जनरल सर्जरी में 50, हड्डी रोग विभाग 90, ईएनटी विभाग में 15, नेत्र रोग विभाग में 15, त्वचा रोग विभाग में 15, मानसिक रोग विभाग में 15 बेड हैं. यानी हॉस्पिटल ब्लॉक में 330 बेड हैं. वहीं, मुख्य कैंपस से 10 किमी दूर शहीद पथ स्थित कोविड अस्पताल में माहभर पहले स्त्री रोग विभाग में 50 बेड, पीडियाट्रिक में 50 बेड डाले गए हैं. ऐसे में कुल 430 बेड रह गए. इन्हीं में से कई वार्डों में ताला पड़ा हुआ है. वहीं, एनएमसी के मानकों को देखें तो मेडिसिन में ही 210 बेड, जनरल सर्जरी में 210 बेड, पीडियाट्रिक्स में 120, टीबी एंड चेस्ट 30 बेड, आर्थोपेडिक के 120 बेड, नेत्र रोग के 40 बेड व गाइनी के 120 बेड होने चाहिए.
एनएमसी ने जारी किए थे नए नियम :31 अक्टूबर 2020 को एनएमसी ने नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और एमबीबीएस की वार्षिक सीटें बढ़ाने के लिए नियम जारी किए थे. इसमें मानक थोड़े शिथिल किए गए. नए नियमों के मुताबिक, सौ सीटों वाले कॉलेज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बेड की संख्या 530 से घटाकर 430 कर दी गई है जबकि दो सौ सीटों वाले कॉलेज के लिए बेड्स की संख्या 930 से घटाकर 830 कर दी गई. बावजूद इसके, लोहिया संस्थान मानक के अनुसार बेड नहीं जुटा सका. वहीं, एनएमसी की टीम के दौरे के समय वार्डों पर विभिन्न विभागों के नाम के पोस्टर लगाकर खेल किया गया है. इसके बाद से इन वार्डों में ताला लटक रहा है. इससे न सिर्फ छात्रों का प्रशिक्षण बाधित है बल्कि मरीजों को भी भर्ती के लिए बेडों के संकट का सामना करना पड़ता है.