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राजस्थान-यूपी बॉर्डर पर खड़ी बसों को अनुमति नहीं देना दुर्भाग्यपूर्ण, ये ओछी राजनीति हैः पूर्व केंद्रीय मंत्री - ईटीवी भारत से खास बातचीत

पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस की ओर से श्रमिकों के लिए एकत्रित बसों को यूपी में जाने के लिए अनुमति नहीं मिलने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए साफ कहा कि श्रमिक हमारे अन्नदाता और देश के निर्माणकर्ता हैं, इस मुद्दे पर ओछी राजनीति नहीं होनी चाहिए. भंवर जितेंद्र सिंह ने इस मुद्दे पर क्या कुछ कहा पढ़ें ये खास रिपोर्ट...

पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह
पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह

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Published : May 20, 2020, 8:44 PM IST

जयपुर:श्रमिकों के लिए बस भेजने और अनुमति को लेकर जारी सियासत हर पल के साथ अपने चरम पर पहुंच चुकी है. पिछले दो दिन से कांग्रेस द्वारा भेजी गई बसें राजस्थान-यूपी बॉर्डर पर खड़ी रहने और नेताओं की बयानबाजी के बीच अब वापस लौटा दी गई हैं. इस बीच ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत करते हुए पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने हर सवाल पर बेबाकी से जवाब देते हुए साफ कहा कि ये ओछी राजनीति है. यहां राजनीति के बजाए पहले श्रमिकों के हितों के बारे में सोचना चाहिए. कांग्रेस CWC (कांग्रेस वर्किंग कमेटी) के सदस्य और ओडिशा कांग्रेस के प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह ने खास बातचीत के दौरान बस को लेकर जारी सियासत पर क्या कुछ कहा आप भी सुनिए.

पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह से बातचीत

बस की राजनीति पर बोले पूर्व केंद्रीय मंत्री

भंवर जितेंद्र सिंह ने राजस्थान-यूपी की सरहद पर अनुमति के इंतजार में खड़ी रहीं बसों और उनके वापस लौटने को काफी दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि बॉर्डर पर श्रमिक अपने घर जाने के लिए इंतजार कर रहे हैं, बसें भी अनुमति के लिए खड़ी रहीं. आखिर ये हो क्या रहा है. श्रमिकों को उनके घरों पर पहुंचाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने बसें एकत्रित करके उसे राजस्थान-यूपी बॉर्डर पर खड़ी कर रखी, लेकिन हम श्रमिकों को लेकर नहीं जा पा रहे. इससे छोटी राजनीति नहीं हो सकती है. सबसे पहले तो पीएम मोदी ने लॉकडाउन के दौरान देशभर में फैले प्रवासी मजदूरों के बारे में ना कुछ सोचा और समझा. ये भी नहीं सोचा कि ऐसे लोगों के लिए क्या व्यवस्था होनी चाहिए. बाद में ट्रेन शुरू करने का प्रस्ताव दिया, उस पर दो-दो, पांच-पांच हजार किराया ले रहे हैं.

भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा कि राजस्थान बॉर्डर पर करीब 550 से 600 बसें खड़ी रही, पार्टी के नेता वहां तंबू लगाकर बैठे हैं और उत्तर प्रदेश सरकार की अनुमति का इंतजार कर रहे है. हद यह भी हो गई कि पहले यूपी सरकार ने पहले बसों की अनुमति को लेकर चिट्ठी दे दी, उसके बाद वहां के जिला मजिस्ट्रेट अनुमति नहीं दे रहे हैं. ये कैसी सरकार चल रही है. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने तो यहां तक कह दिया कि चाहें तो उन बसों पर भाजपा का झंडा लगा लें, पोस्टर लगा लीजिए, लेकिन, कम से कम श्रमिकों के बारे में तो सोचिए.

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उन्होंने कहा कि ये बात काफी हैरान करती है कि मौके पर 550 बसें खड़ी हैं, लेकिन उन्हें जाने नहीं दिया गया. लिस्ट में त्रुटि हो सकती है, लेकिन मौके पर जो बसें खड़ी हैं, उन्हें तो जाने दीजिए. श्रमिकों के साथ क्या नाराजगी है, वे अन्नदाता हैं, देश के निर्माणकर्ता हैं. अगर राजनीति करनी है तो कांग्रेस पार्टी के साथ कीजिए, लेकिन, श्रमिकों ने आपका क्या बिगाड़ा है, उनके बारे में तो सोचिए. यदि कुछ बसों में कमियां हैं तो उन्हें मत जाने दीजिए, लेकिन जो बसें बिल्कुल फिट हैं, उन्हें तो जाने दीजिए.

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भंवर जितेंद्र सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि राजनीति कांग्रेस नहीं कर रही है. हमने आग्रह किया पीएम-सीएम से बस और ट्रेन चलाने के लिए, लेकिन जब वो फेल हो गए तो हम व्यवस्था कर रहे हैं. हम तो यहां तक कह रहे हैं आप अपना झंडा लगा लें, 'योगी जी' फोटो लगा लें वाहनों पर लेकिन, राजनीति मत कीजिए. उन्होंने कहा कि हर पल बदलते घटनाक्रम में एक बात सामने आई है कि राजनीति कितनी नीचे गिर गई है. कोई श्रमिकों के बारे में नहीं सोच रहा है, 'योगीजी' अपनी पार्टी के बारे में सोच रहे हैं, उन्हें ये दर्द नहीं है कि आज श्रमिक भूखे मर रहे हैं, पैदल चल रहे हैं. भंवर जितेंद्र सिंह ने बातचीत के दौरान साफ कहा कि श्रमिकों को लेकर राजनीति करने के बजाए, उनके हितों के बारे में सोचें, जिससे हम उन्हें राहत पहुंचा सकें.

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