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पिता चंद्रशेखर की समाजवादी विचारधारा पर भारी नीरज शेखर का स्वाभिमान

देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर ने भाजपा का दामन थाम लिया है. माना जा रहा है कि नीरज शेखर लोकसभा चुनाव 2019 में समाजवादी पार्टी से टिकट न दिए जाने से नाराज थे.

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Published : Jul 16, 2019, 5:42 PM IST

Updated : Jul 16, 2019, 9:25 PM IST

नीरज शेखर (फाइल फोटो).

लखनऊ:देश के पूर्व प्रधानमंत्री और समाजवादी विचारधारा वाले चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है. सूत्रों की मानें तो समाजवादी पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बलिया से टिकट नहीं दिया. इससे नाराज होकर वे भाजपा में शामिल हो गए.

बीजेपी में शामिल हुए नीरज शेखर.

2019 लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने से थे नाराज
वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद सपा ने नीरज शेखर को राज्यसभा भेज दिया था. 2019 के लोकसभा चुनाव में वह बलिया सीट से टिकट के दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने भाजपा उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह मस्त के सामने नीरज की बजाय पूर्व विधायक सनातन पांडेय को मैदान में उतार दिया. अपने राजनीतिक जीवन के पहले 2007 के संसदीय उपचुनाव में नीरज शेखर ने वीरेंद्र सिंह मस्त को ही पटखनी दी थी. टिकट न मिलने के बाद से ही वह नाराज चल रहे थे. पूरे प्रचार के दौरान उन्हें पार्टी प्रत्याशी के मंच पर एक बार भी नहीं देखा गया.

पिता चंद्रशेखर थे जिंदादिल इंसान
देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर युवा तुर्क के नाम से अपनी पहचान रखते थे. वह हमेशा समाजवादी विचारधारा को लेकर संघर्ष करते रहे. वह काफी संवेदनशील और जिंदादिल इंसान भी कहे जाते हैं. राजनीतिक जानकार उन्हें समाजवादी विचारधारा के लिए हर स्तर पर संघर्ष करने वाले राजनेता के रूप में पहचानाते हैं.

1990 में बने देश के प्रधानमंत्री
चंद्रशेखर बलिया लोकसभा सीट से कई बार सांसद चुने गए और 1990 में देश के प्रधानमंत्री भी बने. 1996 के लोकसभा चुनाव के दौरान मुलायम सिंह यादव ने बलिया लोकसभा सीट से उनके खिलाफ किसी दूसरे उम्मीदवार को टिकट दे दिया तो भारतीय जनता पार्टी ने भी उनकी मदद करने के उद्देश्य से वहां कोई उम्मीदवार नहीं उतारा, जिसके बाद वह बीजेपी को लेकर थोड़ा नरम जरूर रहते थे.

इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार एक वोट से गिरी थी. तो इसका जिम्मेदार चंद्रशेखर को बताया गया था. हालांकि बाद में चंद्रशेखर ने यह भी कहा था कि अगर उन्हें पता होता कि अटल जी की सरकार एक वोट से गिर जाएगी तो वह जरूर अटल जी की सरकार को वोट करते.

पिता के निधन के बाद शुरू किया था सियासी करियर
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का निधन 2007 में हुआ था. इससे पहले 2004 के लोकसभा चुनाव में वह आखिरी बार बलिया लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे. उनके निधन के बाद बलिया संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में नीरज शेखर ने उनकी विरासत संभाली और चुनाव लड़कर समाजवादी विचारधारा को लेकर आगे बढ़ते हुए नजर आए.

पिता चंद्रशेखर चंदे से लड़ते थे चुनाव
जानकार बताते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर हमेशा संघर्ष और जन सरोकारों के लिए लड़ते रहे. वह हमेशा समाजवादी विचारधारा और समाजवादी सिद्धांतों पर अडिग रहे. जब वह प्रधानमंत्री थे तब भी किसानों के खेत में पहुंच जाया करते थे. वह चंदा से चुनाव लड़ते थे.

गमछा फैलाकर चंदा एकत्रित करते थे
ऐसे समाजवादी विचारधारा को लेकर हमेशा शानदार और बेहतरीन व्यक्तित्व के धनी पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर अब अपने पिता की विरासत को छोड़कर भगवा धारण कर चुके हैं. अब वह अपना स्वाभिमान बचाने के लिए समाजवादी पार्टी से रिश्ता तोड़ भाजपा में शामिल हो गए हैं.

Last Updated : Jul 16, 2019, 9:25 PM IST

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