लखनऊ:रिटार्यड पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुरका कहना है कि सरकार ने बिना किसी जांच के निर्णय (पूर्वाग्रह) और अनुचित तरीके से (दुराग्रह) उनकी संपत्ति की सतर्कता जांच कराई है. सतर्कता विभाग ने एक तरफा कार्रवाई करते हुए गोमतीनगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर का कहना है कि न्यायालय में याचिका दायर करने पर इस मामले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) को दी गई, जिसने सतर्कता जांच के निष्कर्षों को गलत पाया. मेरी संपत्ति को मेरी आय से काफी कम पाया था. ईओडब्ल्यू ने मेरे खिलाफ दर्ज मुकदमे को समाप्त करने की संस्तुति की थी, जिसे सरकार ने सितंबर 2019 में समाप्त भी कर दिया था.
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प्री-प्लान सरकार ने विभागीय जांच शुरू की
लंबित जांचों के बारे में अमिताभ ने बताया कि 2015-16 में ढूंढ-ढूंढकर छोटे-छोटे मामलों में चार विभागीय जांच प्रारंभ की गई. इन चारों जांचों में मुझे दोषी नहीं पाया गया. इसके बाद भी शासन ने मुझे कारण बताओ नोटिस दिया, जिसका मैंने तत्काल जवाब दिया. कई साल बीत जाने के बाद भी शासन स्तर पर सभी जांचों को लंबित रखा गया है.
कोर्ट ने भी हस्तक्षेप किया, मगर जांच जारी रही
इसको लेकर उन्होंने न्यायिक फोरम, लोकायुक्त और न्यायालय से शिकायत भी की. अमिताभ का कहना है कि इन जांचों के संबंध में कई बार अपर मुख्य सचिव गृह को अवमानना का नोटिस भी दिया गया और न्यायालय द्वारा कठोर टिप्पणियां भी की गईं. शासन के अधिकारियों ने जानबूझ कर प्रोन्नति रोकने के लिए मेरे खिलाफ जांच को लंबित रखा.
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