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पूर्व राज्यपाल राम नाइक ने शायर शारिब रुदौलवी के लिए कही ऐसी बात, आप भी जानकर करेंगे गर्व - साहित्यकार राम नाइक

उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाइक ने शायर प्रोफसर शारिब रुदौलवी की स्मृति में आयोजित शोक सभा के दौरान श्रद्धांजलि अर्पित की. पूर्व राज्यपाल ने कहा कि प्रोफेसर रुदौलवी गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल थे. रुदालवी साहब ने समाज के वंचित वर्ग के दुख दर्द समझने के साथ उनके लिए आगे आकर बेमिसाल काम भी किए.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 7, 2023, 10:59 AM IST

लखनऊ : प्रोफेसर शायर शारिब रुदौलवी गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल थे. प्रोफेसर शारिब ने अपने दु:ख का इज़हार करने के बजाय उन्होंने अपनी बेटी की याद में लड़कियों के लिए स्कूल खोला. शोआ फातिमा इंटर कॉलेज में जब मैं गया तो प्रभावित हुआ. एक शायर जब समाज के लए कुछ करने निकलता है तो वह ऐसा काम करता है. जिससे साफ जाहिर होता है कि वह दूसरों के दर्द को अच्छी तरह समझता है. यह स्कूल उन लड़कियों के लिए है, जिनके लिए शिक्षा पाना आसान नहीं है. उन्होंने अति समान्य घरों की बेटियों को अच्छे दर्जे की शिक्षा देने का संकल्प लिया था. सैकड़ों बेटियों का जीवन संवारने का प्रोफेसर शारिब साहब ने काम किया.

यह बातें यूपी के पूर्व राज्यपाल व वरिष्ठ साहित्यकार राम नाइक ने बतौर मुख्य अतिथि सोमवार को शायर शारिब रुदौलवी की याद में कैफी आजमी एकडेमी में अवधनामा एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आयोजित यादे शारिब शोक सभा में कहीं. शोक सभा में सैकड़ों प्रशंसकों ने शिरकत की. उनके प्रशंसकों ने प्रो. शारिब रुदौलवी को पुष्पांजलि अर्पित की. अध्यक्ष पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री डॉ. अम्मार रिज़वी, मुख्य अतिथि राम नाइक, विशिष्ट अतिथि वाईस चांसलर एरा यूनिवर्सिटी डॉ. अब्बास अली महदी मौजूद रहे.

कार्यक्रम में इरफ़ान लखनवी ने शारिब रुदौलवी पर नज़्म पढ़ी. सभा में प्रो. शारिब के ड्रीम प्रोजेक्ट शोआ गर्ल्स कॉलेज की छात्राओं ने राष्ट्र गान किया. अवधनामा एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की चेयरपर्सन तक़्दीस फातिमा की तरफ से शोआ गर्ल्स कॉलेज की मेधावी छात्राओं को आगे की पढ़ाई के लिए पांच हजार रुपये की प्रो शारिब रुदौलवी छात्रवृत्ति दिए जाने की घोषणा की. डॉ. अम्मार रिज़वी ने कहा कि शारिब साहब मुझे बहुत प्रिय थे. वे जितने लंबे कद के थे, उतने ही ऊंचे चरित्र के स्वामी थे. उन्हें ईमानदार रहना पसंद था. चाहे मंच पर कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों न बैठा हो, वहां पर भी उन्हें सच बोलना आता था. उनकी बातचीत में हलाल भी था और हुस्न भी. डॉ. अब्बास अली मेहदी ने कहा कि शारिब रुदौलवी जितने बड़े इंसान थे उतने ही सरल स्वभाव के थे. शारिब साहब का मक़सद वक़्त के साथ बदला नहीं वह अपने मक़सद पर हमेशा कायम रहे. किसी बड़े आदमी को देखकर उन्होंने अपना उद्देश्य नहीं बदला. कार्यक्रम का संचालन लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रो अब्बास रज़ा नय्यर जलालपुरी ने किया.

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