लखनऊ: आईआईटी कानपुर के पूर्व निदेशक प्रो. संजय गोविंद धांडे ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) में छात्रों को सफलता के टिप्स दिए. वह दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्यतिथि शिरकत कर रहे थे. उन्होंने छात्रों से कहा कि स्नातक करने वाले छात्र अब लाइफ लॉन्ग लर्निंग के एक नए विश्वविद्यालय में प्रवेश कर रहे हैं, जिसे 3L विश्वविद्यालय कहा जाता है. यह वह जगह है जहां कोई परीक्षा नहीं है, कोई अंक नहीं है, कोई प्रमाण पत्र नहीं है, कोई व्याख्यान नहीं है, कोई व्यावहारिक नहीं है. हालांकि, इस विश्वविद्यालय के सभी छात्र अनुभवों के माध्यम से सीख रहे हैं.
कोविड के बाद तेजी से हो रहे बदलाव
प्रो. संजय गोविंद धांडे ने कहा कि वास्तविक दुनिया एक गतिशील प्रणाली है. कोविड के बाद यह तेजी से बदल रहा है. इस बदलते परिदृश्य में, कुछ कौशल अप्रचलित हो जाते हैं और कुछ कौशल नए हो जाते हैं. अपने दम पर नए कौशल हासिल करना ही वह वास्तविक कौशल है जिसकी आज की दुनिया को आवश्यकता है.
प्रो. धांडे ने कहा कि इस लिहाज से मैं एकलव्य की कहानी को बहुत महत्वपूर्ण मानता हूं. उसने अपने दम पर तीरंदाजी के सभी कौशल सीखे और हासिल किए. उन्होंने गुरु दक्षिणा के रूप में अपना अंगूठा भी त्याग दिया और कौशल ने अपने पैरों के माध्यम से तीरंदाजी का कौशल हासिल कर लिया. तो, आज हमें ऐसे कई एकलव्य की आवश्यकता है. आप ऐसे व्यक्ति को डिजिटल एकलव्य कह सकते हैं.
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इन होनहारों के नाम रहे मेडल
इस बार कुलाधिपति स्वर्ण पदक प्राणवीर सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर की इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग की छात्रा राशी माथुर को प्रदान किया गया. श्रीमती कमल रानी वरुण मेमोरियल पदक, एसआर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, लखनऊ की इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियिरंग से शीलू गौतम को प्रदान किया गया. विश्वविद्यालय के 19 वें दीक्षांत समारोह में लगभग 53226 उपाधियां विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रदान की गयीं. इनमें बीटेक में 33584, बीफार्म में 6646, बीएचएमसीटी में 210, बीआर्क में 309, बीएफएडी/बीएफए 32, बीडीएस 26, एमबीए/एमबीए-टीएम 10149, एमसीए 2064, एमफार्म में 20, एमटेक में 66, एमआर्क में 38, एमएएम में 8, एमसीएडीडी में 1 एवं पीएचडी में 70 उपाधियां प्रदान की गईं.
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