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पूर्व डीजीपी ने कहा विवादित ढांचे को गिराने में शामिल थे 200 कारसेवक

6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने विवादित ढांचे को गिरा दिया था. उस समय डीजीपी रहे श्रीविलास मणि त्रिपाठी ने उस समय की स्थिति के बारे ईटीवी भारत को बताया.

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Published : Aug 4, 2020, 7:27 PM IST

babri demolition
पूर्व डीजीपी श्रीविलास मणि त्रिपाठी

लखनऊ: 6 दिसंबर 1992 की तारीख को अयोध्या में लाखों की संख्या में पहुंचे कारसेवकों ने विवादित ढांचे को गिरा दिया था. इस घटना के बाद जहां एक ओर उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला, वहीं तात्कालिक सरकार सहित उत्तर प्रदेश पुलिस पर भी सवालिया निशान खड़े हुए थे.

पूर्व डीजीपी श्रीविलास मणि त्रिपाठी ने बताया कि अयोध्या पुलिस कारसेवकों को रोकने में कामयाब नहीं रही. नतीजा यह हुआ कि कारसेवक ढांचे के अंदर पहुंच गए और तोड़फोड़ की गई. उस समय अयोध्या में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था. पुलिस पर राजनीतिक दबाव को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में तात्कालिक डीजीपी श्रीविलास मणि त्रिपाठी ने बताया कि पुलिस के ऊपर कोई राजनीतिक दबाव नहीं था.

कंट्रोल रूम से ले रहे थे पल-पल की जानकारी
पूर्व डीजीपी श्रीविलास मणि त्रिपाठी ने बताया कि कंट्रोल रूम से अयोध्या में हो रही इस घटनाओं की पल-पल की सूचना मिल रही थी. तात्कालिक मुख्यमंत्री कल्याण सिंह द्वारा कारसेवकों पर गोली न चलाने की बात भी डीजीपी को घटना के दौरान ही पता चली थी. पूर्व डीजीपी ने बताया कि उन्होंने इस बात का विरोध किया था और कहा था कि पहले से ही पुलिस को यह संदेश देना ठीक नहीं होगा, बाद में कारसेवकों में महिला और बच्चे शामिल होने की बात सामने आई तो उन्हें भी लगा कि पूर्व सीएम का फैसला ठीक है. तात्कालिक सीएम का मानना था कि भीड़ में बच्चे व महिलाएं भी हैं, ऐसे में गोली चलाने से बड़ा नुकसान हो सकता है.

पूर्व मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे लखनऊ
पूर्व डीजीपी श्रीविलास मणि त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि हमें पहले से पता था कि कारसेवक अयोध्या पहुंचेंगे, लेकिन हम इस बात का अंदाजा नहीं था कि विवादित ढांचे में पहुंचकर वह ढांचे को गिराने का काम भी करेंगे. दोपहर करीब 12:00 बजे लगभग 200 कारसेवक विवादित ढांचे के अंदर घुस गए और उन्होंने तोड़फोड़ शुरू कर दी. हमारे कंट्रोल रूम में इसकी पल-पल की सूचना हमें मिल रही थी. हमारी फोर्स भी मौके पर तैनात थी लेकिन बिना गोली चलाए कारसेवकों को रोकना पुलिस के लिए संभव नहीं हो पा रहा था. कारसेवकों के द्वारा इस घटना को अंजाम देने के बीच 3:00 बजे मैं राजधानी लखनऊ के कालिदास स्थित मुख्यमंत्री आवास पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह से मिलने पहुंचा.

मैंने उनसे अयोध्या जाने की अपनी इच्छा जाहिर की, लेकिन मैंने उनके सामने कारसेवकों को नियंत्रण में करने के लिए गोली चलाने के विषय पर चर्चा की, तब पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने गोली चलाने के फैसले से इनकार कर दिया. जिसके बाद मेरा अयोध्या जाना कैंसिल हो गया. शाम को करीब 5:00 बजे तक कारसेवकों ने ढांचे में तोड़फोड़ की और उसके बाद कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. 6 दिसंबर की देर रात मुझे रात को राज्यपाल के पास बुलाया गया और मैं रात्रि 1:30 बजे के करीब राज्यपाल के पास पहुंचा, जिसके बाद आगे की रणनीति तैयार हुई कि किस तरह से उत्तर प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति को बनाए रखना है.

कल राम मंदिर का होगा भूमि पूजन
अयोध्या के राम मंदिर भूमि पूजन को लेकर सभी तैयारियां लगभग पूरी हो गई है. कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम के विशाल मंदिर की भूमि पूजा करेंगे. 5 अगस्त के इस ऐतिहासिक दिन को लेकर सभी उत्साहित हैं. राम मंदिर का जब जब जिक्र होगा तब 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों द्वारा विवादित ढांचे के ढहने की चर्चाएं भी होंगी. बताते चलें 1992 में लाखों की संख्या में कारसेवकों ने पहुंचकर विवादित ढांचे को गिरा दिया था. कारसेवकों को रोकने में यूपी पुलिस पूरी तरह से नाकामयाब रही थी. जिसके पीछे तात्कालिक मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के उस निर्देश को कारण माना जाता है जिसमें उन्होंने कारसेवकों पर गोली न चलाने के निर्देश जारी किए थे.

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