लखनऊ:कानपुर में शातिर अपराधी और हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के साथ हुई पुलिस मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मियों के शहीद होने को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक महेश चंद्र द्विवेदी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. अपराधियों के यहां दबिश के दौरान किस प्रकार के प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए, इसको लेकर पूर्व महानिदेशक द्विवेदी कहते हैं कि इस घटना में ऐसा प्रतीत होता है कि सूचना पुलिस के पास कम और अपराधियों के पास ज्यादा थी.
दबिश देने के पहले हासिल करनी होगी जानकारी
पूर्व डीजीपी महेश चंद्र द्विवेदी ने बताया कि पुलिस के मूवमेंट के बारे में या पुलिस कहीं भी दबिश के लिए जाती है तो हमारी पुलिस पार्टी सुरक्षित रहे, इसकी चिंता जरूर करनी चाहिए. इसके लिए यह बहुत ही आवश्यक है कि हमें मालूम होना चाहिए कि अपराधी कितने हैं? उनके पास कितने हथियार हैं? साथ ही यह भी पता होना चाहिए कि वे कहां से हमला कर सकते हैं?
सूचना का दिखा अभाव
पूर्व डीजीपी का कहना है कि सामान्यतया अपराधी पुलिस पर हमला नहीं करते हैं, लेकिन हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे पर 60 मुकदमे थे. राजनीतिक संरक्षण से वह ऊपर की सीढ़ियां चढ़ रहा था तो पुलिस को और अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए थी. पुलिस के पास फोर्स तो पर्याप्त थी, लेकिन यह सूचना प्राप्त करने की कोशिश नहीं की कि हम पर कहां से हमला हो सकता है.
पुलिस तंत्र फेल
पूर्व पुलिस महानिदेशक महेश चंद्र द्विवेदी बताते हैं, 'पुलिस को सूचना प्राप्त करने में चूक हुई है. गांव में लगता है कि पुलिस का कोई मुखबिर नहीं था, चौकीदार नहीं था, ग्राम प्रधान नहीं था, जो पुलिस की मदद करता. पुलिस को सूचना प्राप्त करने में पूरी तरह से चूक हुई है. इसके साथ ही अपराधियों को पुलिस के सारे मूवमेंट की जानकारी मिल रही थी, जेसीबी भी उन्होंने लगाकर पुलिस को रोकने का काम किया. मुख्य जो कमी थी, वह अपराधियों के विषय में सूचना प्राप्त करने की रही है. पुलिस को उनके हथियार और उनकी संख्या के बारे में और क्या वह हमला कर सकते हैं, किस लोकेशन से हमला कर सकते हैं, यह सूचना प्राप्त करने में पुलिस पूरी तरह से फेल हुई है.'
बुलेटप्रूफ जैकेट्स का करना चाहिए था प्रयोग
पुलिस की दबिश के दौरान पुलिसकर्मियों के पास सुरक्षा के उपकरण जैकेट्स आदि न होने के सवाल पर पूर्व डीजीपी कहते हैं, 'पुलिस ने शायद ऐसा सोचा ही नहीं कि हमारे ऊपर हमला होगा, लेकिन पुलिस को इसका ख्याल करना चाहिए. इसके प्रोटोकॉल्स का पालन करना चाहिए. इतना बड़ा हमला पुलिस परहोगा, शायद यह पुलिसकर्मियों ने नहीं सोचा. अगर ऐसा सोचा होता तो उन्हें अपने जैकेट लेकर जाना चाहिए था. उनकी प्लानिंग में कमी रह गई थी. उनको लगा होगा कि पुलिस पर हमला नहीं होगा. पूरी तैयारी के साथ पुलिस नहीं गई और इसी कारण यह हमला हो गया. पुलिस की तरफ से यह प्लानिंग की भी कमी रही कि गांव को किस तरह से घेरें और उन्हें यह सावधानी भी बरतनी चाहिए थी कि अपराधियों को पुलिस की सूचना न मिलने पाए. इसमें भी चूक हुई है.'