लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक महेंद्र मोदी ने बारिश की एक-एक बूंद को सहेज कर धरातल तक पहुंचाने की एक बड़ी मुहिम शुरू की है. महेंद्र मोदी ने वर्षा जल संरक्षण (Conserve Rainwater) को लेकर तीन अलग-अलग मॉडल बनाए हैं और इन तीनों मॉडल का पेटेंट भी कराया है. जिससे इन मॉडल के आधार पर वर्षा जल संरक्षण के लिए तमाम जगहों पर लागू किया जा सके. ईटीवी भारत ने महेंद्र मोदी से बात करके उनके इस अभिनव प्रयोग और अनोखे मॉडल के बारे में जानकारी की.
इस तरह वर्षा जल संरक्षण और पानी का करते हैं उपयोग
पूर्व पुलिस महानिदेशक महेंद्र मोदी ने बताया कि मेरा उद्देश्य है कि प्रदूषण रहित जल संरक्षण किया जा सके. इस मॉडल को आम आदमी और जो जनसाधारण बिल्कुल आसान तकनीक से जल्दी समझ जाए. मॉडल बिल्कुल इकोनॉमिकल हो. हमारा पहला मॉडल शौचालय के लिए जल संरक्षण के लिए बनाया गया है. शौचालय के ऊपर पानी की टंकी और शौचालय के बगल में एक्स्ट्रा टंकी बनाई गई है. इसे अतिरिक्त टंकी जल एकत्रित करने के लिए बनाई गई है कि हमें कहीं से भी पानी लाने की जरूरत न पड़े और और इसके लिए हमें कहीं से भी बिजली खर्च की जरूरत न पड़े. जब हम जमीन से पानी लिफ्ट कर के ऊपर लाते हैं, तो बिजली खर्च करते हैं. और हम इस मॉडल के माध्यम से बिजली बचाने का काम कर रहे हैं. क्योंकि यह वर्षा का जल ऊपर से नीचे आता है, तो इसमें हमें बिजली की कोई जरूरत ही नहीं है और इसीलिए इलेक्ट्रिसिटी फ्री मॉडल हमने बनाया है.
मोदी योगी के साथ ही हम सबकी भी है जिम्मेदारी
देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शौचालय बनाए जाने का अभियान शुरू किया गया था, लेकिन इसमें पानी कहां से आएगा, इस बारे में किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया और उस पानी के लिए तो भूजल खर्च हो रहा है. हम इस अपने मॉडल के माध्यम से बारिश के के पानी को ही संरक्षित करते हैं. वह पानी जो बारिश का है और सड़कों में बर्बाद होता है, जो गंदे नालों के माध्यम से बहाया जा रहा है. हमने उस सड़क के ऊपर ही शेड लगाकर शौचालय के लिए पानी उपयोग करने का काम किया है. यह बारिश का पानी जो सड़कों पर गिरता है तो दो मकानों के बीच में शेड लगाकर उसे सुरक्षित करने का मॉडल बनाया गया है. इसमें बिल्कुल भी खर्च नहीं आता.
वर्षा जल को संरक्षित करने के साथ ही फिल्टर भी किया
पूर्व डीजीपी महेंद्र मोदी कहते हैं कि हमने वर्षा जल को संरक्षित करते हुए इसे टंकियों में फिल्टर करके रखा है और उस पानी को शौचालय में इस्तेमाल किया जाता है. देश में मानसून वर्षा और गैर मानसून वर्षा दोनों होती है. इसलिए देश के अधिकतर जिलों में 8 महीने से लेकर 12 महीने तक इस पानी से काम चलाया जा सकता है. इसमें कहीं कोई परेशानी की बात नहीं है. यह हर नागरिक का काम है कि कैसे हम जल संरक्षण के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के बारे में सोचे और काम करें.
बारिश के पानी को पीने योग्य बनाने का काम
पूर्व पुलिस महानिदेशक महेंद्र मोदी कहते हैं कि हमारा जो दूसरा मॉडल है बारिश के पानी से पेयजल बनाने का है. यह मॉडल भी एनर्जी फ्री मॉडल है. यह मॉडल हमने बहुमंजिला इमारतों के लिए बनाया है. यहां हमारे इस जगह पर बहुमंजिला इमारत नहीं है, तो मॉडल हमने तैयार किया है. लेकिन इसके लिए हमने शेड लगाए हुए हैं. इसका उद्देश्य है कि आज की तारीख में जितनी भी पानी के बॉटलिंग प्लांट की कंपनियां है, जो मिनरल वाटर दे रही हैं. यह जमीन के पानी का शोषण कर रही हैं. जबकि हमें इससे बिना बिजली खर्च किए हुए वर्षा के जल को संरक्षित करना है और उसे पेयजल बनाना है.