लखनऊ:उत्तर प्रदेश की बहू के रूप में पहचान रखने वाली कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का शुक्रवार को निधन हो गया. उनके निधन से न सिर्फ कांग्रेस पार्टी बल्कि बीजेपी सहित सामाजिक क्षेत्र से जुड़े रहने वाले लोगों में शोक की लहर है.
ससुर से मिली राजनीति में आने की प्रेरणा-
प्रदेश के उन्नाव के रहने वाले उमाशंकर दीक्षित के बेटे आईएएस विनोद दीक्षित से उनकी शादी हुई थी. उमाशंकर दीक्षित कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता थे और देश के गृह मंत्री भी थे. ससुर के राजनीति में सक्रिय होने के चलते शीला दीक्षित का भी राजनीति में मन लगने लगा था. एक सड़क दुर्घटना के दौरान उनके पति विनोद दीक्षित की मौत हो गई, जिसके बाद उन्होंने पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय होने का फैसला कर लिया.
1984 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज से संसद का सफर शुरू किया. राजीव गांधी सरकार में उन्हें संसदीय कार्य मंत्री के रूप में भी स्थान मिला था. वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ही नहीं, बल्कि सामाजिक क्षेत्र के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय थीं. वह अपने फैसलों पर अडिग रहने वाली महिला राजनेता के रूप में भी अपनी पहचान बना चुकी थीं. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इच्छा थी कि कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी का गठबंधन हो जाए, लेकिन शीला दीक्षित इसके लिए राजी नहीं हुईं.