लखनऊ:सिटिजन अमेंडमेंट एक्ट(सीएए) और एनसीआर के विरोध में राजधानी लखनऊ में 19 दिसंबर को हिंसक प्रदर्शन हुए थे. इस प्रदर्शन में सरकारी संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया गया था, जिसके बाद जिला प्रशासन ने कड़े तेवर अपनाते हुए करीब 200 आरोपियों की पहचान की और उनको नोटिस जारी किया.
जिला प्रशासन ने दिखाई सख्ती
लखनऊ जिला प्रशासन ने इन सभी आरोपियों पर सख्ती दिखाई. प्रशासन ने सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने पर आरोपियों की संपत्ति कुर्क करने के आदेश दिया. पहले 150 आरोपियों को नोटिस भेजी गई, जिसके बाद 50 और लोगों की पहचान कर नोटिस भेजी गई है.
पूर्व असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ने दिया बयान
इस पूरे मसले पर कांग्रेस कार्यकाल में असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल रहे अशोक निगम ने कहा कि पूरे मामले में कानून का पूरी तरह से उल्लंघन हुआ है. उन्होंने कहा कि जिन भी आरोपियों को नोटिस भेजी गई है. उसके बारे में किसी को भी जानकारी नहीं है.
किसी ने नहीं देखी जारी रिपोर्ट
अशोक निगम ने बताया कि यह रिपोर्ट किसी को भी दिखाई नहीं गई है. इसके बारे में सिर्फ सुना गया है. पूरे मामले में पुलिस ही सब कर्ता-धर्ता बन गई है. यूपी पुलिस ने अपने आप आरोपियों की पहचान की और आनन-फानन में सभी को नोटिस जारी कर दी.
सुप्रीम कोर्ट का रखा पक्ष
अशोक निगम ने इस पूरे मामले में आगे बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने इसको लेकर एक मोहम्मद शजाउद्दीन बनाम कोर्ट का हवाला दिया है. इस मामले में कहा गया है कि जो भी सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, उससे नुकसान की भरपाई की जानी चाहिए.