लखनऊ:पश्चिम बंगाल की सियासी परिधि से बाहर (UP Assembly Election 2022) निकल अपनी पार्टी के विस्तार को तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) लगातार काम कर रही हैं. दीदी बंगाल में सत्ता की हैट्रिक लगाने के बाद अब दूसरे राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में प्रत्याशी देने और उन राज्यों की सियासी जमीन को समझने को अभी से ही अपने प्रतिनिधियों को वहां लगा दी हैं. ताकि उन राज्यों में सियासी एंट्री से पहले वहां की देश-काल-परिस्थितियों को भलीभांति समझ लिया जाए और जमीनी समीक्षा के बाद रणनीतियां बना संभावनाएं तलाशी जाए.
हालांकि, त्रिपुरा और गोवा में तृणमूल की बढ़ी सक्रियता के बाद अब दीदी की नजर उस राज्य पर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि केंद्रीय सियासत की वैतरणी पार करने को गोमती में डुबकी अनिवार्य है. दरअसल, हम यहां तृणमूल की मिशन यूपी की बात कर रहे हैं. यूपी में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी की लोकप्रियता और उनकी पार्टी के लिए संभावनाओं की तलाश को कराए गए एक सर्वेक्षण में यह स्पष्ट हो गया है कि दीदी सूबे की पूर्वांचल(Purvanchal)और रोहेलखंड के पीलीभीत (Pilibhit of Rohilkhand)समेत मथुरा में अपने प्रत्याशी देने का मन बना रही हैं.
पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल, रोहेलखंड और मथुरा से लगे क्षेत्रों में पकराए गए एक सर्वे में कई चीजें सामने आई हैं. ऐसे में सभी बिंदुओं की फिलहाल समीक्षा जारी है. इतना ही नहीं, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के सांसद भतीजे संग चर्चा के बाद राज्य पार्टी नेतृत्व ने जिलेवार पार्टी की सदस्यता अभियान को गति देना शुरू कर दिया है.
इसे भी पढ़ें - इस बार EVM खुलते ही मुख्यमंत्री अपना सामान पैक कर चले जाएंगे गोरखपुर: जूही सिंह
वहीं, पीलीभीत के कई इलाकों में 1972 में बसे बांग्लादेशी बंगालियों को आज तक देश की नागरिकता नहीं मिली है. बावजूद इसके की उन्हें किसी और ने नहीं, बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (The then Prime Minister Indira Gandhi)ने यहां बसाया था. और तो और यहां बसे बंगालियों को आजीविका चलाने को जमीन के पट्टे भी दिए गए. हालांकि, यहां रह रहे बंगालियों को सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिलता है, पर दुख इस बात की है कि इतने सालों से यहां रहने के बावजूद इन्हें नागरिकता नहीं दी गई.
खैर, दीदी ऐसे ही उलझे मुद्दों को उठा अबकी कई सीटों पर भाजपा की सीट समीकरण को बिगाड़ सकती हैं. इसके अलावे बात अगर सूबे के पूर्वांचल क्षेत्र की करें तो इस क्षेत्र की बड़ी आबादी का बंगाल से खासकर राजधानी कोलकाता व संलग्न जिलों से गहरा लगाव जगजाहिर है.