लखनऊः योगी सरकार पार्ट 2 में एक बार फिर अपराधियों के खिलाफ सख्त रवैया शुरू हो गया है. अपराधियों का हॉफ एनकाउंटर किया जा रहा है. हॉफ एनकाउंटर यानी की पैर में गोली मारकर गिरफ्तार किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश पुलिस के आंकड़े देखें तो यूपी में एनकाउंटर का डाटा चौंकाने वाला है. बीते 5 साल के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो यूपी में हर रोज 5 एनकाउंटर हुए हैं.
मार्च 2017 से लेकर अप्रैल 2022 के बीच उत्तर प्रदेश पुलिस और अपराधियों के बीच 9434 एनकाउंटर हुए हैं. इन मुठभेड़ों में पुलिस ने 160 अपराधियों को मार गिराया है. वहीं 3,866 को पुलिस की फायरिंग के दौरान गोली लगी है. इन एनकाउंटर के आंकड़ों के हिसाब से उत्तर प्रदेश में हर रोज 5 एनकाउंटर हो रहे हैं.
यूपी में जिन अपराधियों का पुलिस एनकाउंटर हो रहा है, उनमें अधिकांश अपराधियों का अपराध का लंबा इतिहास रहा है. यही नहीं उनके खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चल रहा होता है और जमानत में बाहर होते हैं. कुछ ऐसे भी होते हैं. जिन्होंने हाल ही में बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया हुआ होता है. वे एनकाउंटर में पकड़े या फिर मारे जाते हैं.
ये सच्चाई है कि यूपी में पूर्व की सरकारों की अपेक्षा इस सरकार में अपराधियों और उनके गैंग पर जमकर कार्रवाई की जा रही है. चाहे उनके साम्राज्य को खत्म करना हो या फिर अपराधियों को गिरफ्तार करने की कार्रवाई हो. हालांकि कार्रवाई में सबसे अधिक एनकाउंटर किये जा रहे हैं. इसी का संज्ञान लेते हुए साल 2017 से 2018 के बीच 6 जिलों में हुए 17 एनकाउंटर की जांच मानवाधिकार ने की थी. जांच में आयोग ने पाया था कि पुलिस अधिकारियों और कथित अपराधियों के बीच अचानक गोलीबारी का विवरण जिसमें पुलिस पर गोली चलाई जाती है. फिर डिफेंस में पुलिस फायर-बैक करती है. जिसमें कथित अपराधियों में से एक की मौत हो जाती है. जबकि उसका साथी हमेशा भागने में सफल रहता है. ये नियमित पैटर्न इन दावों की सत्यता के बारे में संदेह पैदा करता है.
यूपी में हुए इन एनकाउंटर्स में 13 पुलिस वाले भी शहीद हुए हैं. 13 पुलिस वालों में 8 अकेले कानपुर के बिकरू गांव में हुए शूटआउट में शहीद हुए थे. वहीं एनकाउंटर्स में 1269 पुलिसवालों को गोली लगी है. जिन एनकाउंटर में पुलिस को गोली लगी, उनमें अधिकांश पुलिसवालों के हाथ से गोली छूकर निकल गई है. मानवाधिकार आयोग ने भी साल 2017 से 2018 के बीच में हुए 17 एकाउंटर की जांच में पाया था कि पुलिस को केवल मासूमी चोटें आईं. विश्लेषण किये गये 17 मामलों में से 15 में पुलिस को केवल मामूली चोटें आईं, जो संदेह पैदा करता है.
इस मामले में जब यूपी के अपर पुलिस महानिदेशक लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि एनकाउंटर राज्य की पॉलिसी नहीं है. ये हमेशा अपवाद होता है. हमें भी एनकाउंटर करके खुशी नहीं मिलती है. लेकिन जब अपराधी हमारे ऊपर फायरिंग करते हैं, तो हमें बचाव में गोली चलानी पड़ती है. वो कहते है कि कई मामलों में हमारे पुलिसकर्मी भी मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए हैं.
एनकाउंटर में एक जैसा पैटर्नःयूपी में अपराधियों व यूपी पुलिस के बीच हुए एनकाउंटर में एक खास तरह का ही पैटर्न रहा है. लगभग सभी एनकाउंटर्स में पुलिस द्वारा बताई जाने वाली कहानी एक जैसी ही होती है. ज्यादातर मामलों में संदिग्ध पुलिस को मोटरसाइकिल पर दिखता है और पुलिसकर्मियों उसे रुकने को कहते हैं. लेकिन आरोपी पुलिस पर फायरिंग कर भागने की कोशिश करते हैं और पुलिस के जवाबी फायरिंग में संदिग्ध या तो घायल होता है या मारा जाता है. यही नहीं कुछ मामलों में अपराधी का दूसरा साथी मौके से भाग जाता है.
कहां कितने हुए एनकाउंटर ?:उत्तर प्रदेश में 21 मार्च 2017 से 19 अप्रैल 2022 तक यूपी पुलिस ने कुल 9434 एनकाउंटर की कार्रवाई की है. जिसमें 20,443 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है. 3866 अपराधी एनकाउंटर में घायल हुए हैं, 160 अपराधी मारे गए है. सबसे अधिक मेरठ जोन में एनकाउंटर हुए हैं. मेरठ जोन में पिछले पांच सालों में 3138 एनकाउंटर हुए हैं. जिसमें 5,946 अपराधी गिरफ्तार हुए हैं. वहीं 61 अपराधियों को ढेर किया गया है. मुठभेड़ में 1,269 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं. जोनवार एनकाउंटर के आंकड़ों पर नजर डाले तो:-
आगरा जोन में 1984 एनकाउंटर की कार्रवाई हुई है. जिसमें 248 अपराधी घायल, 19 मारे गए, 80 पुलिसकर्मी घायल हुए और 2 पुलिसकर्मी मारे गए.
प्रयागराज जोन में 395 एनकाउंटर की कार्रवाई हुई है. जिसमें 117 अपराधी घायल, 10 मारे गए, 23 पुलिसकर्मी घायल हुए व 1 पुलिसकर्मी मारे गए.
बरेली जोन में 1325 एनकाउंटर की कार्रवाई हुई है. जिसमें 337 अपराधी घायल, 7 मारे गए, 243 पुलिसकर्मी घायल हुए व 1 पुलिसकर्मी मारे गए.