लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एक कोरोना मरीज के ठीक होने के बाद उसमें दोबारा कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि होने के बाद से ही तमाम चर्चाएं शुरू हो गई हैं. कई रिसर्च और स्टडी कहती हैं कि किसी भी तरह से कोरोना वायरस के संक्रमण से संक्रमित मरीज के एक बार स्वस्थ होने के बाद दोबारा संक्रमण नहीं हुआ है. वहीं इस मरीज के सामने आने पर विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि मरीज के लक्षणों और कोविड-19 के स्ट्रेन की रिसर्च की जाएगी.
उत्तर प्रदेश में आया पहला कोरोना का री-इंफेक्शन केस, विशेषज्ञ बोले होगी रिसर्च
उत्तर प्रदेश में एक कोरोना मरीज के ठीक होने के बाद उसमें दोबारा कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है. विशेषज्ञ मरीज के लक्षणों और कोविड-19 के स्ट्रेन की रिसर्च करेंगे. डॉक्टर ने मरीज के एंटीबॉडी टेस्ट की भी बात कही है.
डॉ. अनुपम के अनुसार एक बड़ा कारण यह भी हो सकता है कि rt-pcr में जांच के दौरान क्रॉस कॉन्टेमिनेशन या फिर कोई टेक्निकल एरर भी शामिल हो गई हो. इसके अलावा कलेक्शन सेंटर पर किसी तरह का फॉल्स कंटामिनेशन भी इसमें शामिल है. उन्होंने बताया कि इसको पकड़ने का एक सबसे बेहतर उपाय एंटीबॉडी टेस्ट होता है, जिसमें इन सभी मामलों कि बेहतर जांच हो सकती है. डॉ. अनुपम के अनुसार rt-pcr के द्वारा एक व्यक्ति के संक्रमित होने के 3 हफ्ते से लेकर 3 महीने तक कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हो सकती है. अब तक भारत भर में कहीं भी 3 महीने के बाद किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस के दोबारा संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है.