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भारत में सबसे पहले बाबर ने यहां बनवाई थी मस्जिद, गुमनामी में हो रही गुम

इतिहास के अनुसार बाबर ने सबसे पहले पानीपत के काबुली बाग में बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया था. पानीपत मस्जिद के निर्माण के करीब 2 साल बाद सुल्तान बाबर ने 1527 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनवाई थी. इसे लेकर सदियों तक विवाद चलता रहा.

बाबर ने बनाई थी सबसे पहले मस्जिद.

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Published : Nov 10, 2019, 10:32 AM IST

पानीपत: दशकों से विवाद का विषय बना बाबरी मस्जिद का फैसला आ गया और फिर से बाबरी मस्जिद और उसके इतिहास की चर्चा भी की जा रही है. आज हम भी बाबरी मस्जिद के बारे में चर्चा करेंगे, लेकिन वो नहीं जो अयोध्या में है. उस बाबरी मस्जिद के बारे में जो बाबर ने देश में सबसे पहले बनवाई थी.

बाबर ने बनाई थी सबसे पहले मस्जिद.

ये है बाबर की पहली मस्जिद
बाबर ने 1526 में इब्राहिम लोधी से जंग जीतने पर खुशी में एक खूबसूरत मस्जिद का निर्माण करवाया था. ये मस्जिद आज भी पानीपत के कुटानी रोड पर स्थित है. इस मस्जिद को पानीपत में कई नामों से जाना जाता है. कोई इसे काबुली बाग मस्जिद के नाम से जनता है तो कोई बाबरी मस्जिद, तो कोई इसे उजड़े गुम्बद के नाम से जानता है. इतिहास कहता है कि बाबर ने सबसे पहले इसी मस्जिद का निर्माण करवाया था. पानीपत मस्जिद के निर्माण के करीब 2 साल बाद सुल्तान बाबर ने 1527 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनवाई थी, जिसको 1992 में ढहा दिया गया था.

किसी जमाने में बहुत खूबसूरत होगी ये इमारत
ईटीवी भारत की टीम पानीपत के बाबरी मस्जिद पहुंची. बड़े खूबसूरत अंदाज में बनी मस्जिद का प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में बनाया गया है. लाल बालू के रंग और ईंटों से बने मुख्य द्वार के सामने बड़ा मेहराब बना हुआ है. इसकी गुंबदों पर पुष्पाकार गोलाकारी फलक बनाए गए हैं. मेन मेहराब काफी बड़ा है. भवन के पश्चिम दिशा में उप भवन भी है. प्रत्येक उप भवन में नौ दीप और नौ आले हैं.

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देखभाल की कमी की वजह से दम तोड़ रही इमारत
ढाई से तीन एकड़ में बनी इस आलीशान मस्जिद में अंदर दाखिल होते ही सुंदर पार्क देखने को मिलता है. हालांकि, देखभाल की कमी में पौधे दम तोड़ते नजर आते हैं. गुंबदों पर पुष्पाकार गोलाकारी अब खस्ता हालत में हैं. देखभाल की कमीं की वजह से शरारती तत्वों ने यहां पर ईंटें निकालकर गुबंद के ऊपर चढने का रास्ता बना लिया है. भवन का काफी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है. मस्जिद की दीवारें टूटी हुई है, इमारत पुरानी होने की वजह से गिरने का खतरा भी हर वक्त बना रहता है. जिसके चलते इनके अंदर जाने के मुख्य मार्गो को ताला लगाकर बन्द रखा जाता है.

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