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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 2, 2023, 9:40 AM IST

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लखनऊ विश्वविद्यालय में पहला एस्ट्रोनॉमी रिसर्च सेंटर बनेगा, व्रॉटिनो टेक्नोलॉजी के साथ एमओयू साइन

लखनऊ विश्वविद्यालय में अंतरिक्ष से जुड़ी हुई चीजों पर अध्ययन करने के लिए नए एस्ट्रोनॉमी रिसर्च सेंटर की स्थापना (Astronomy research center in Lucknow University) की जाएगी. इसे लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय और गोरखपुर की व्रॉटिनो टेक्नोलॉजी ने भारतीय खगोल तकनीक को बढ़ावा देने के लिए करार पर हस्ताक्षर किए.

Lucknow university  MoU signed with Vrotino Technology  पहला एस्ट्रोनॉमी रिसर्च सेंटर  लखनऊ विश्वविद्यालय  व्रॉटिनो टेक्नोलॉजी के साथ एमओयू साइन  गोरखपुर की व्रॉटिनो टेक्नोलॉजी  भारतीय खगोल तकनीक  Astronomy research center in Lucknow University
Lucknow university MoU signed with Vrotino Technology पहला एस्ट्रोनॉमी रिसर्च सेंटर लखनऊ विश्वविद्यालय व्रॉटिनो टेक्नोलॉजी के साथ एमओयू साइन गोरखपुर की व्रॉटिनो टेक्नोलॉजी भारतीय खगोल तकनीक Astronomy research center in Lucknow University

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छूने के लिए तैयारी कर रहा है. विश्वविद्यालय में अंतरिक्ष से जुड़ी हुई चीजों पर गहन अध्ययन करने के लिए जल्द ही एक नए एस्ट्रोनॉमी रिसर्च सेंटर की स्थापना (Astronomy research center in Lucknow University) की जाएगी. इसके लिए विश्वविद्यालय के गणित एवं खगोल विज्ञान विभाग में स्थित प्लेनेटोरियम को भारत की पहली स्वदेशी खगोल विज्ञान शोध शाला के रूप में डेवलप किया जाएगा.

इसके लिए लखनऊ विश्वविद्यालय और गोरखपुर की व्रॉटिनो टेक्नोलॉजी ने भारतीय खगोल तकनीक को बढ़ावा देने के लिए एक करार पर हस्ताक्षर किए हैं. यह करार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय और व्रॉटिनो के निर्देशक सचिंद्रनाथ के बीच इस एमआईयू पर हस्ताक्षर किए. कुलपति प्रोफेसर आलोक राय ने बताया कि अंतरिक्ष अनुसंधान और अंतरिक्ष जागरूकता कार्यक्रम के लिए नई तकनीक और उपकरण विकसित करने में व्रॉटिनो टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय की मदद करेगा.



इस अवसर पर विश्वविद्यालय की अधिष्ठाता अकादमी प्रोफेसर पूनम टंडन ने बताया कि एमओयू इसी शैक्षणिक सत्र से प्रभावित होगा. हमारा मुख्य ध्यान अंतरिक्ष विज्ञान और खगोलीय शोध सामग्री के विकसित करने पर होगा. उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय और व्रॉटिनो टेक्नोलॉजी मिलकर भारत को उसकी पहली स्वदेशी खगोल विज्ञान शोधशाला स्थापित करेंगे. जिससे भारत को उसकी आकाशगंगा में एक नई ऊंचाइयों तक ले जाया जा सकेगा.

विश्वविद्यालय में शोध करने के लिए नेपाल से आए शिक्षक:लखनऊ विश्वविद्यालय में अब शोध कार्य के लिए विजिटिंग फैकल्टी परिसर आना शुरू कर दिया है. इसी तहत शुक्रवार को सुदूर पश्चिम विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य तीर्थराज पेनेरू विश्वविद्यालय परिसर पहुंचे. प्रोफेसर टंडन ने कहा कि नेपाल के शिक्षक को उनके विषय पर रिसर्च के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से फैलोशिप प्राप्त हुई है वह अगले 6 महीने तक विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग में अपना रिसर्च कार्य करेंगे. इसके अलावा उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के एकेडमिक काउंसिल की बैठक के लिए एजेंडा तैयार हो गया है. इस माह के दूसरे सप्ताह में एकेडमिक काउंसिल की बैठक कराई जाएगी जिसमें विश्वविद्यालय के मुख्य मुद्दों को पास कराया जाएगा.

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