लखनऊः दिवाली यानी दीयों का त्योहार, लेकिन अब यह दीयों से ज्यादा पटाखों का त्योहार बनता जा रहा है. बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए एनजीटी ने इस बार पटाखों पर रोक के आदेश दिए तो दिवाली से पहले ही विवादों की फुलझड़ी जल उठी. सोशल मीडिया पर तमाम एक्टिविस्ट हिंदू संस्कृति की दुहाई देने लगे. यहां तक कि कैंपेन चलने लगे, जहां लोग पटाखों को भारतीय संस्कृति का प्रतीक बताने और किसी भी तरह जलाने की बात करने लगे. लेकिन सवाल यह खड़ा हो गया कि क्या पटाखे हिंदू संस्कृति का अंग हैं या नहीं. आइए तथ्यों के आइने से जानते हैं क्या है सच्चाई...
यह था आदेश
पिछले दिनों एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने आदेश जारी कर पटाखों के उपयोग पर रोक लगा दी. सोमवार को एनजीटी की ओर से जारी आदेश के तहत दिल्ली-एनसीआर सहित जिन शहरों में प्रदूषण का स्तर अधिक है, वहां 30 नवंबर तक पटाखों के उपयोग पर रोक लगाई है. वहीं, दिल्ली, प.बंगाल, ओडिशा, हरियाणा, राजस्थान सहित कई प्रदेशों ने भी अपने स्तर पर पटाखों के उपयोग पर रोक लगा दी है. आदेश जारी होने के बाद से ही सोशल मीडिया के कई तथाकथित क्रांतिकारी इस आदेश का विरोध करने लगे हैं. सोशल मीडिया के यह एक्टिविस्ट दावा कर रहे हैं कि पटाखों पर रोक हिंदू संस्कृति पर हमला है. संस्कृति को बचाने की गुहार लगाते हुए, यह दिवाली पर जमकर पटाखे फोड़ने के लिए कह रहे हैं. एनजीटी और राज्य सरकारों के आदेश को भी खुली चुनौती देते नजर आ रहे हैं.
सोशल मीडिया पर कैंपेन
कुछ लोगों ने तो फेसबुक, टि्वटर और लिंकडिन आदि साइटों पर एक अभियान चला रखा है, जिसमें दिवाली पर किसी भी सूरत में पटाखे फोड़ने औऱ हिंदू धर्म बचाने की अपील की गई है.