उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

यूपी में फायर सेफ्टी ऑफिसर की 50 हजार वेकेंसी होगी, मगर बिना सर्टिफिकेट नौकरी कैसे मिलेगी ?

उत्तरप्रदेश सरकार ने फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम (Fire and Emergency Services Act ) में बड़ा संशोधन कर दिया. इस बदलाव के बाद निजी सेक्टर में फायर सेफ्टी ऑफिसर के 50 हजार पद सृजित होंगे (Fire Safety Officer in UP). मगर दिक्कत यह है कि इस वैकेंसी को पूरा करने के लिए जिस योग्यता की जरूरत है, उसकी पढ़ाई के लिए यूपी में कॉलेज नहीं हैं.

Etv Bharat Fire and Emergency Services Act
Etv Bharat Fire and Emergency Services Act

By

Published : Jan 3, 2023, 6:04 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में फायर सर्विस का मॉडल एक्ट और उत्तर प्रदेश फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम-2022 (Fire and Emergency Services Act )लागू हो चुका है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस अधिनियम के लागू होने के बाद जहां बिल्डिंगों में सुरक्षा बढ़ेगी, वहीं राज्य के 50 हजार से अधिक युवाओं को रोजगार मिलेगा. फायर सर्विस एक्ट के अनुसार, हर 15 मीटर की ऊंचाई से ऊपर की बिल्डिंग में एक फायर सेफ्टी ऑफिसर तैनात करना जरूरी होगा. ऐसे में राज्य के सभी प्रतिष्ठानों को 2023 के आखिर तक फायर सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति करनी होगी. मगर युवाओं के लिए फायर सेफ्टी ऑफिसर बनना आसान नहीं होगा, क्योंकि नियुक्ति के लिए उनके पास सेफ्टी एंड फायर इंजीनियरिंग से डिग्री या डिप्लोमा कोर्स की डिग्री होनी जरूरी है. इस विषय की पढ़ाई के लिए यूपी में एक भी कॉलेज नहीं है.

फायर एक्ट के तहत नियुक्त करना होगा FSO :योगी सरकार ने 13 दिसम्बर से राज्य में उत्तर प्रदेश फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम-2022 लागू कर दिया है. इसकी नियमावली को बनाने के लिए गृह विभाग ने 6 सदस्यीय टीम का गठन किया है. टीम के सदस्य व लखनऊ के मुख्य अग्निशमन अधिकारी मंगेश कुमार के मुताबिक, उनकी टीम नई नियमावली पर काम कर रही है. फायर सेफ्टी का उल्लंघन करने वालों से कितना समन शुल्क वसूलना है, फायर सेफ्टी के लिए नए मानक क्या होंगे? इन सभी विषयों पर मंथन चल रहा है. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम-2022 व फायर सर्विस मॉडल एक्ट में यह आवश्यक किया गया है कि 15 मीटर से ऊंची सभी इमारतों में फायर सेफ्टी ऑफिसर तैनात करना होगा. यह नियम सामान्य बिल्डिंग के अलावा फैक्ट्री, हॉस्पिटल और होटल, शॉपिंग कॉम्पलेक्स, मार्केट आदि में लागू होगा. नई नियमावली में फायर सेफ्टी ऑफिसर की योग्यता और ट्रेनिंग की शर्तें भी स्पष्ट की गईं हैं.

एकेटीयू वीसी पी के मिश्रा का कहना है कि अगर फायर एंड इमरजेंसी सर्विस में नौकरी के अवसर बढ़ेंगे तो वह इस विषय की पढ़ाई के लिए शासन से चर्चा करेंगे.
FSO की अर्हता पर हो रहा मंथन : मुख्य अग्निशमन अधिकारी मंगेश कुमार के मुताबिक, फायर सेफ्टी ऑफिसर के लिए नेशनल फायर सर्विस कॉलेज, नागपुर या फिर किसी भी राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त सेफ्टी एंड फायर इंजीनियरिंग कॉलेज से प्रशिक्षत होना आवश्यक होगा. यदि वह पहले से प्रशिक्षित नहीं है तो प्रतिष्ठान को उसे इन्हीं संस्थान से ट्रेनिंग दिलानी होगी. उसके बाद ही उसकी नियुक्ति की जा सकेगी. फिलहाल उत्तर प्रदेश में ऐसा एक भी कॉलेज नहीं है, जो फायर एंड इमरजेंसी सर्विस और सेफ्टी एंड फायर इंजीनियरिंग का डिग्री व डिप्लोमा कोर्स कराता हो. नियुक्त किए जाने वाले फायर सेफ्टी ऑफिसर की जानकारी जिले के मुख्य अग्निशमन अधिकारी को भेजनी होगी, विभाग से सर्टिफिकेट मिलने के बाद ही उसकी नियुक्ति मानी जाएगी. 50 हजार से अधिक युवाओं को मिल सकता है मौका :मंगेश कुमार के अनुसार, उत्तर प्रदेश में लगभग 50 हजार ऐसे प्रतिष्ठान हैं, जहां तत्काल फायर सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति करना जरूरी है. नियमावली बनने के बाद सभी बिल्डिंग मालिकों को जिले के मुख्य अग्निशमन अधिकारी फायर सेफ्टी ऑफिसर नोटिस भेजेंगे. जो संस्थान काफी बड़े हैं, उन्हें एक से अधिक फायर सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति करनी होगी. इस हिसाब से अंदाजा लगाया जा रहा है कि 2023 में करीब 50 हजार फायर सेफ्टी ऑफिसर की वेकेंसी होंगी (vacancies of Fire Safety Officer in UP).नहीं रखा FSO तो होगी बड़ी कार्रवाई : उत्तर प्रदेश फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम-2022 के अनुसार जिम्मेदार बिल्डिंग व प्रतिष्ठानों के मालिकों को किसी भी हाल में नियमावली जारी होने के 30 दिन के अंदर फायर सेफ्टी ऑफिसर रखना होगा. अगर अग्निशमन अधिकारी जांच करता है और फायर सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति नहीं होती है तो अधिकारी प्रतिष्ठान पर 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर से लेकर 50 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक का जुर्माना ठोंक सकता है. नियम के मुताबिक यदि फायर सेफ्टी अधिकारी नौकरी छोड़ता है तो एक हफ्ते के अंदर ही दूसरे अधिकारी की नियुक्ति करना आवश्यक होगा. यूपी में फायर सेफ्टी कोर्स की होनी चाहिए पढ़ाई: AKTU VCफायर सर्विस के इस नए अधिनियम के चलते यूपी में रोजगार के दरवाजे तो जरूर खुलेंगे लेकिन इस नौकरी के लिए जरूरी डिग्री या डिप्लोमा पाने के लिए उत्तर प्रदेश में कॉलेज नहीं है. हरियाणा, दिल्ली, मुम्बई और तमिलनाडु में फायर एंड इमरजेंसी सर्विस के कालेजों की भरमार है. अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. पी के मिश्र खुद मानते हैं कि प्रदेश में रोजगार के अवसर तब तक फलीभूत नही होंगे जब तक उस योग्य अभ्यर्थी न हो. ऐसे में यह जरूरी है कि कुछ ऐसे सब्जेक्ट जैसे फायर सेफ्टी एंड इंजीनियरिंग या फायर एंड इमरजेंसी सर्विस और स्पोर्ट्स साइंस के कॉलेज होने चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि फायर सर्विस में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं तो वह इस विषय को यूपी में शुरू करने पर विचार करेंगे. यूपी से बाहर इन कॉलेजों में कर सकते हैं कोर्स : निजी इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रो. संदीप श्रीवास्तव बताते है कि यदि युवा फायर सेफ्टी ऑफिसर के पद पर नौकरी करना चाहते हैं तो उन्हें फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज के डिप्लोमा कोर्स के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग ले सकते हैं. 6 महीने डिप्लोमा कोर्स के लिए 15 हजार रुपये तक की फीस होती है. इसके अलावा इंदौर के आईपीएस अकेडमी, नेशनल फायर सर्विस कॉलेज नागपुर, पावइ इंजीनियरिंग कॉलेज तमिलनाडु, RTMNU नागपुर, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग CUSAT कोच्चि व बख्तियारपुर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में फायर सेफ्टी एवं इंजीनियरिंग से संबंधित डिप्लोमा व डिग्री कोर्स उपलब्ध है.

पढ़ें : G 20 समित में ताजनगरी आएंगे देशी विदेशी मेहमान, होटलों में नहीं फायर सेफ्टी के इंतजाम

ABOUT THE AUTHOR

...view details