लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण ने गोमती नगर योजना के रिक्त भूखंडों के आबंटन में घपलेबाजी करने वाले जिस निलंबित बाबू के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. उस बाबू ने वास्तु खंड योजना के छह रिक्त भवनों/भूखंडों को दूसरे व्यक्तियों के नाम से समायोजन कर दिए थे. चार भूखंडों की पत्रावलियां भी प्राधिकरण से गायब हैं. इनमें से एक भूखंड संख्या का अधिकारिक समायोजन होने के बाद जनवरी में रजिस्ट्री भी हो चुकी है. जांच रिपोर्ट के अनुसार मृत कर्मचारियों की कम्यूटर आईडी से हेराफेरी कर दी. आरोपी बाबू इससे पहले भी कई खेल कर चुका है. खुलासा होने पर उसे कलेक्ट्रेट भेज दिया गया था. नया मामला उजागर होने के बाद से कर्मचारी गायब है. इन भूखंडों की क़ीमत करीब पांच करोड़ रुपये बतायी जा रही है.
जांच रिपोर्ट के अनुसार आरोपी बाबू अजय प्रताप वर्मा ने भूखंड संख्या 3/516, 3/649, 38/656, 3/719, 3/561 तथा 3/629 के मूल आबंटियों का नाम कंप्यूटर से गायब कर दिए. इनके स्थान पर अन्य व्यक्तियों का नाम कंप्यूटर पर अंकित कर दिया गया. संयुक्त सचिव ऋतु सुहास और तहसीलदार राजेश शुक्ला ने पूरे मामले की जांच की है. जांच में पाया गया कि बाबू का यह कारनामा सरकारी कार्य की गम्भीर अनियमितता है. रिपोर्ट के मुताबिक वास्तुखंड के तत्कालीन योजना सहायक अजय प्रताप वर्मा ने उपरोक्त भूखण्डों को लेकर डिस्पोजल रजिस्टर पर अंकित विवरण से दूसरे व्यक्ति का नाम कंप्यूटर में दर्ज कराया गया है. ऐसे योजना सहायकों का नाम अंकित किया गया, जो उस समय योजना का कार्य नहीं देख रहे थे. इतना ही नहीं, कई की मृत्यु हो चुकी है.
कंप्यूटर में दिखा दिया रिफंड