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प्रभात गुप्ता हत्याकांड, चश्मदीदों की गवाही को ट्रायल कोर्ट ने नजरंदाज किया, फैसला सुरक्षित - prabhat gupta murder case

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Published : Nov 10, 2022, 12:21 PM IST

Updated : Nov 10, 2022, 7:58 PM IST

12:13 November 10

लखनऊ : केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के खिलाफ प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में दाखिल राज्य सरकार व मृतक के भाई व मामले के वादी संतोष गुप्ता की अपीलों पर गुरूवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक चली सुनवाई के बाद न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले में निर्णय सुरक्षित कर रही है.


न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति रेणु अग्रवाल की खंडपीठ को वादी के अधिवक्ताओं द्वारा अनुरोध किया गया कि अजय मिश्रा उर्फ टेनी की ओर से दाखिल स्थानांतरण प्रार्थना पत्र खारिज किया जा चुका है, लिहाजा मामले की अंतिम सुनवाई की जाए. सुनवाई के दौरान वादी की ओर से एसके सिंह तथा राज्य सरकार की ओर से अरुणेंद्र ने दलील दी कि मृतक से अजय मिश्रा टेनी का पंचायत चुनाव को लेकर विवाद चल रहा था. मृतक को अजय मिश्रा टेनी के अलावा दूसरे अभियुक्त सुभाष उर्फ मामा ने भी गोली मारी थी. कहा गया कि घटना के चश्मदीद गवाह भी थे, जिनकी गवाही को ट्रायल कोर्ट ने नजरंदाज किया. यह भी दलील दी गई कि घटना के कुछ दिनों बाद अजय मिश्रा टेनी ने निचली अदालत के समक्ष आत्म समर्पण तो किया, लेकिन बीमारी के आधार पर उन्हें तुरंत अस्पताल भेज दिया गया और अस्पताल में रहते ही उनकी जमानत भी हो गई.


वहीं अपील का विरोध करते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल एस चतुर्वेदी ने दलील दी कि ट्रायल कोर्ट ने कथित प्रत्यक्षदर्शी की गवाही को भरोसे के लायक नहीं माना है, इसका कारण यह है कि प्रत्यक्षदर्शी का एक दुकान पर काम करना बताया जाता है, उक्त दुकान के पास ही घटना को अंजाम दिया जाना भी कहा गया है. दलील दी गई कि घटना के दिन उक्त दुकान नहीं खुली थी, इसलिए कथित प्रत्यक्षदर्शी की वहां उपस्थिति संदिग्ध है. कहा गया कि ट्रायल कोर्ट द्वारा अजय मिश्रा टेनी को बरी करने का फैसला पूरी तरह सही है व ट्रायल कोर्ट ने अपने फैसले में इसका जो आधार लिया है, वह औचित्यपूर्ण है.

क्या था मामला :उल्लेखनीय है कि लखीमपुर खीरी के तिकुनिया थाना क्षेत्र में वर्ष 2000 में एक युवक प्रभात गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मृतक समाजवादी पार्टी के यूथ विंग का सदस्य व लखनऊ विश्वविद्यालय का छात्र नेता था, जबकि अजय मिश्रा टेनी उस समय भी भाजपा से जुड़े थे. अभियोजन के अनुसार दोनों के बीच पंचायत चुनाव को लेकर दुश्मनी हो गई थी. घटना के सम्बंध में दर्ज एफआईआर में अन्य अभियुक्तों के साथ-साथ अजय मिश्रा उर्फ टेनी को भी नामजद किया गया था. मामले के विचारण के पश्चात लखीमपुर खीरी की एक सत्र अदालत ने अजय मिश्रा व अन्य को पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में वर्ष 2004 में बरी कर दिया था. आदेश के खिलाफ वर्ष 2004 में ही राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर दिया था, वहीं मृतक के भाई ने भी उक्त आदेश के विरुद्ध अपील, पुनरीक्षण याचिका दाखिल की थी.

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Last Updated : Nov 10, 2022, 7:58 PM IST

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