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13 महीने की बच्ची के पेट से निकला पौने दो किलो का भ्रूण, KGMU में हुआ सफल ऑपरेशन

13 महीने की बच्ची के अंदर भ्रूण विकसित हो गया (Fetus developed inside 13 month old girl) था. सोमवार को KGMU के डॉक्टरों ने सफल ऑपरेशन किया. डॉक्टरों ने 13 महीने की बच्ची के पेट से करीब पौने दो किलोग्राम का भ्रूण निकालकर उसे नया जीवन दिया.

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Published : Aug 2, 2023, 7:41 AM IST

लखनऊ:केजीएमयू के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने 13 महीने की बच्ची के पेट में गांठ का सफल ऑपरेशन किया. किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने 13 महीने की बच्ची के पेट से करीब पौने दो किलोग्राम का भ्रूण निकाला. बच्ची के पेट में भ्रूण बड़ी नसों, धमनी, बाएं गुर्दे और बाएं फेफड़े की झिल्ली से चिपका था. जटिल सर्जरी कर केजीएमयू के डॉक्टरों ने बच्ची को जीवनदान दिया है.

दरअसल सिद्धार्थनगर निवासी सहजाद आलम और रहीमा खातून अपने 13 महीने की छोटी बेटी को लेकर काफी परेशान थे. पिछले 5 महीने से उम्र के साथ बेटी के पेट में सूजन लगातार बढ़ती जा रही थी. माता-पिता ने काफी जगह बच्चे के इलाज कराया, लेकिन कुछ आराम नहीं मिला. बल्कि बच्ची के पेट की सूजन लगातार बढ़ती गयी. और बच्ची की हालत भी नाजुक होती चली गयी थी, साथ में बच्ची कुछ खा पी भी नहीं पा रही थी, जिसकी वजह से बच्ची का वजन भी लगातार कम हो रहा था. तब मां बाप परेशान होकर गंभीर हालत में बच्ची को लेकर केजीएमयू लखनऊ के ट्रामा सेंटर पहुंचे.

उसके बाद बच्ची को पीडियाट्रिक सर्जरी के प्रोफेसर जेडी रावत की टीम में भर्ती किया गया. जांच के बाद पता चला की बच्ची के पेट में भ्रूण है जो बड़ी नसों, धमनी, बाएं गुर्दे और बाएं फेफड़े की झिल्ली से चिपका है. प्रोफेसर जेडी रावत एवं उनकी टीम ने बीते सोमवार को बच्ची का ऑपरेशन किया. प्रोफेसर जेडी रावत ने कैंसर की गांठ को सफलता पूर्वक बड़ी नसों, धमनिया और बाएं गुर्दे को बचते हुए निकाला दिया. इस ऑपरेशन में करीब तीन घंटे का समय लगा. बच्ची वार्ड में अभी स्थिर हालत में है और स्वास्थ में सुधार हो रहा है. ऑपरेशन करने वाली टीम में पीडियाट्रिक सर्जरी के प्रोफेसर जेडी रावत, डॉक्टर सर्वेश कुमार गुप्ता, अंजू सिस्टर और निस्चेतना विभाग से डॉ. सतीश वर्मा शामिल थे.

प्रो. जेडी रावत ने बताया कि ये ऑपरेशन 31 जुलाई को किया गया था. इस बीमारी को फ़ीटस इन फिटु (Fetus in fetu) कहते हैं क्योंकि इस गांठ में हड्डी एवं शरीर के अन्य भाग बाल, आंत भी विकसित थे. यह एक विरल असाधारण बीमारी होती है, जो कि पांच लाख में किसी एक व्यक्ति को होती है.

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