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बिना कोविड प्रोटोकॉल के हो रहा अंतिम संस्कार, दुकानदारों में संक्रमण का डर - दुकानदारों में संक्रमण फैलने का डर

राजधानी लखनऊ में पुरनिया स्थित श्मशान घाट पर बिना कोविड प्रोटोकॉल के अंतिम संस्कार हो रहा है. इससे दुकानदारों को संक्रमण फैलने का डर सता रहा है.

cremation ghats in Purania
दुकानदारों में संक्रमण फैलने का डर.

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Published : Apr 24, 2021, 11:50 AM IST

लखनऊ :पुरनिया के कबाड़ी मार्किट के पास बने शमशान घाट पर प्रशासन की लापरवाही देखने को मिल रही है. मार्केट के दुकानदारों का आरोप है कि श्मशान घाट पर जिन शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है, वह करोना संक्रमण से मरने वालों के हैं या बिना कोरोना संक्रमण से मरने वालों के, इसका पता नहीं चल पा रहा है. ऐसे में कहीं ना कहीं देखा जाए तो कोरोना संक्रमण के फैलने का डर मार्केट में जरूर देखने को मिल रहा है. वहीं दूसरी तरफ श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार करने आए लोगों का आरोप है कि घाट पर किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

दुकानदारों में संक्रमण फैलने का डर.
दुकानदारों को सता रहा संक्रमण का डरईटीवी से बातचीत के दौरान पुरनिया स्थित कबाड़ी मार्केट के दुकानदार गौतम सिंह चौहान राणा ने बताया कि इस समय कोरोना संक्रमण के दौरान जिस तरह लोग बीमार हो रहे हैं और कोरोना के चलते मौतों के आंकड़े बढ़ रहे हैं, उससे लोग काफी डरे हुए हैं. पुरनिया स्थित श्मशान घाट पर प्रशासन की तरफ से भी कोई इंतजाम नहीं किया गया है. जिस तरह से लोग शव का अंतिम संस्कार करने आ रहे हैं, ऐसे में पता ही नहीं चलता कि मरने वाला कोरोना संक्रमण से ग्रसित था या नहीं. देखा जाए तो कोविड प्रोटोकॉल को लेकर कोई भी नियम नहीं दिखाई दे रहे हैं. ना तो कोई प्रशासनिक अधिकारी दिखाई दे रहा है.जिससे कहीं ना कहीं दुकानदार फैलने वाले को ना संक्रमण को लेकर काफी डरे हुए हैं.

प्रशासनिक अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान
स्थानीय मनोज कुमार का कहना है कि श्मशान घाट की बात की जाए तो अभी तक महीने में एक या दो से ज्यादा शव ही आते थे. लेकिन जिस तरह से कोरोना का संक्रमण फैला है, उसके बाद से प्रतिदिन 15 से 16 शव आने लगे हैं. अंतिम संस्कार के लिए शवों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. उसके हिसाब से अब जगह भी कम पड़ती जा रही है. कोई भी प्रशासनिक अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है, जिससे अंतिम संस्कार करने आ रहे लोगों को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

घाट पर नही है कोई सरकारी व्यवस्था
अंतिम संस्कार करने आए रवि प्रकाश ने बताया कि घाट पर सरकारी व्यवस्था के नाम पर कोई भी सुविधाएं नहीं है. कोई भी परिजन अगर इस घाट पर अंतिम संस्कार के लिए आता है तो उसको अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां व अन्य समान भी खुद ही लाना पड़ता है. वहीं कोरोना के चलते लकड़ियों का भी भाव 2 से 3 गुना बढ़ गया है. यहां पर किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं है.

बढ़ रही शवों की संख्या
अंतिम संस्कार करने आये नंदकिशोर ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान दिन पर दिन पर इस घाट पर शवों की संख्या में इजाफा होता दिखाई दे रहा है.वही अगर बात करे तो कोविड प्रोटोकॉल को लेकर भी कोई व्यवस्था नही है. हमारी मांग है कि जल्द ही प्रशासन की तरफ से अंतिम संस्कार करने आ रहे लोगों को उचित व्यवस्था मुहैया कराई जाए. बता दें कि इस मामले पर प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत नहीं हो पाई है.

भर्ती के अभाव में थम रहीं कोरोना मरीजों की सांसें

वहीं इस मामले पर जब प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत करने की कोशिश की गई तो किसी भी अधिकारी से हालांकि बात नहीं हो सकी है. अब देखना यह है कि कबाड़ी मार्केट की दुकानदारों के मन में खेलने वाले कोरोना संक्रमण के डर से कब निजात मिलती है और अंतिम संस्कार के लिए प्रशासन की तरफ से किस तरह की व्यवस्थाएं की जाएंगी.

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