लखनऊ: राजधानी लखनऊ के मड़ियांव थाना अंतर्गत फैजुल्लागंज द्वितीय मूसलाधार बारिश के चलते पूरी तरह से जलमग्न है. मोहल्ले में जलनिकासी और नालियों के अभाव में घरों के बाहर पानी भरा हुआ. इस बारिश इलाके में समस्या और बढ़ गई है. लोगों के आने जाने के सभी रास्ते पानी से लबालब हैं. इस समस्या के मद्देनजर मंगलवार को तमाम अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इलाके का दौरा किया. उन्होंने, समस्या का समाधान निकालने के लिए दावे किए गए. इसके बावजूद दावा पूरी तरह से फेल नजर आ रहे हैं. जलभराव की समस्या लगातार बनी हुई है.
जलमग्न हुआ फैजुल्लागंज, वैकल्पिक व्यवस्था के जरिए जल निकासी पर जोर
राजधानी लखनऊ के मड़ियांव थाना अंतर्गत फैजुल्लागंज द्वितीय मूसलाधार बारिश के चलते पूरी तरह से जलमग्न है. मोहल्ले में जलनिकासी और नालियों के अभाव में घरों के बाहर पानी भरा हुआ. यहां, लोग बुखार, उल्टी दस्त, डेंगू, डायरिया, मलेरिया जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं.
स्थानीय विधायक नीरज बोरा ने नगर निगम के नगर आयुक्त को अस्थाई नाला खोद कर जल निकासी के लिए निर्देश दिए थे. इसके बावजूद आज तक नाला नहीं खोदा गया. जिसकी वजह से इलाके में जलभराव की स्थिति बनी हुई है. लोगों अपने रोजमर्रा के काम के लिए नाव का सहारा लेकर घरों से सड़क तक पहुंच रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ जलभराव होने के कारण छोटे-छोटे बच्चों की पढ़ाई भी ठप पड़ी हुई है. इस बात से स्थानीय लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. दूसरी तरफ लखनऊ के कई जगहों जैसे सरोजिनी नगर, तेलीबाग चिनहट, मड़ियाव और फैजुल्लागंज में कई दिनों से जलभराव की स्थिति बनी हुई है. स्थानीय निवासियों का आरोप है कि जल जमाव के कारण लोग तमाम सीजनल बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. फैजुल्लागंज में लोग बुखार, उल्टी दस्त, डेंगू, डायरिया, मलेरिया जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं.
आपको बता दें कि, करीब 40 बच्चे समेत 60 लोग सर्दी खांसी बुखार से पीड़ित हैं. हालांकि, मेडिकल टीम दवाइयां उपलब्ध कराने का काम कर रही है. नगर आयुक्त अजय द्विवेदी से अस्थाई नाले के बारे में जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि 3 किलोमीटर तक अस्थाई नाला खोदने के लिए तैयारी की जा रही है. लेकिन कई कठिनाइया आने के कारण अभी तक नाला नहीं खोदा गया है. फिलहाल, वैकल्पिक व्यवस्था कर जल निकासी की जाएगी. जल निकासी के बाद पूरे इलाके में एंटी लार्वा और कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कराया जाएगा. ताकि, स्थानीय लोगों को बीमारियों से सुरक्षित रखा जा सके.