लखनऊः धान विक्रय के लिए इतने किसानों ने कराया रजिस्ट्रेशन
लखनऊ मंडल के जिलों में धान खरीद योजना की तैयारी एवं संचालन के संबंध में मंडलायुक्त रंजन कुमार की अध्यक्षता में बैठक हुई. बैठक में मंडलायुक्त की तरफ से उपस्थित सभी लोगों को कई दिशा-निर्देश दिए गए, जिसका पालन अनिवार्य है.
लखनऊ:लखनऊ मंडल के जनपदों में धान खरीद योजना की तैयारी और सुचारू संचालन को लेकर मंडलायुक्त रंजन कुमार की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई. इसमें संभागीय खाद्य नियंत्रक संतोष कुमार सहित अन्य अधिकारी और नामित एजेंसियों के मंडल प्रभारी मौजूद रहे. संभागीय खाद्य नियंत्रक संतोष कुमार ने बताया कि शासन ने इस वर्ष धान क्रय करने के लिए 11 एजेंसी नामित की हैं. पिछले वर्ष मंडल में धान क्रय करने का लक्ष्य 544 हजार मीट्रिक टन रखा गया था. इसके सापेक्ष 630 हजार मीट्रिक टन धान की खरीद की गई थी. हालांकि इस वर्ष का लक्ष्य अभी प्राप्त नहीं हुआ है.
मंडल में कुल 394 धान क्रय केंद्र बनाए गए
संभागीय खाद्य नियंत्रक संतोष कुमार ने बताया कि मंडल के जनपदों में कुल 394 धान क्रय केंद्र बनाए गए हैं. इसमें लखनऊ में 16, उन्नाव में 28, रायबरेली में 62, हरदोई में 61, सीतापुर में 99 और खीरी में 128 क्रय केंद्र क्रियाशील हैं. हालांकि वर्तमान में 254 हजार मीट्रिक टन धान क्रय करने के लिए बोरों की उपलब्धता है.
33 हजार किसानों ने कराया रजिस्ट्रेशन
उन्होंने बताया कि मंडल में धान विक्रय करने को अब तक 33 हजार किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. फिलहाल जिन किसानों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है. उनका रजिस्टेशन क्रय केंद्रों पर ही कर दिया जाता है. साथ ही शासनादेश के अनुसार किसानों को 72 घंटे में धनराशि का भुगतान किए जाने की कार्रवाई की जाती है.
महत्वपूर्ण निर्देश
- प्रत्येक क्रय केंद्र पर बोरों की पर्याप्त उपलब्धता और उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित कराई जाए.
- क्रय केंद्रों पर किसानों की सुख सुविधाओं के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं उपलब्ध की जाएं. इसमें उनके बैठने, पेयजल, हाथ धोने के लिए साबुन की व्यवस्था समेत हैंड सेनेटाइजर की व्यवस्था की जाए.
- प्रत्येक क्रय केंद्र पर केंद्र प्रभारी, क्रय एजेंसी के जिला स्तरीय अधिकारी, डिप्टी आरएमओ और संबंधित उप जिलाधिकारी के नंबर का बैनर लगा होना चाहिए.
- प्रत्येक क्रय केंद्र की प्रभावी समीक्षा की जाए. यदि केंद्र में सीसीटीवी की उपलब्धता न हो तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करके दिन में 2-3 बार क्रय केंद्र की व्यवस्थाओं का जायजा लिया जाए.
- यदि किसी क्रय केंद्र में पिछले वर्ष की तुलना में कम क्रय किया जा रहा है या किसी दिन क्रय नहीं किया गया हो तो उसका कारण पता करें.
- किसानों को धनराशि भुगतान में विलंब नहीं होना चाहिए.
- जो नई एजेंसी चयनित की गई हैं, उनको समुचित प्रशिक्षण दिलाया जाएं.
- यदि एक क्रय केंद्र पर औसतन तीन सौ क्विंटल प्रतिदिन धान क्रय करने की संभावना होती है तो उसके सापेक्ष संबंधित एजेंसी द्वारा क्रय केंद्र में धनराशि की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए.