लखनऊ:देश व उत्तर प्रदेश में बिगड़े सियासी हालात को पक्ष में करने को जरूरी है कि भाजपा अपने उस रूख में तत्काल बदलाव करें, जिसके कारण उसे आगामी विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान हो सकता है. उक्त बातें पार्टी की सहयोगी संगठन के रूप में चिन्हित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से कही गई हैं. वहीं, संगठन ने पार्टी को यह भी सलाह दी है कि प्रदेश में सरकार बचाने के लिए किसानों के प्रति रूख में बदलाव अनिवार्य है. साथ ही पार्टी को यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि वह चुनाव तक अल्पसंख्यकों और अन्य जाति समुदाय को अलग-थलग न करे.
दरअसल, केंद्र सरकार की तीन कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी दिल्ली के सरहदी छोर पर पिछले कई महीनों से पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा समेत कई अन्य राज्यों के किसान धरने पर बैठे हैं.
वहीं, अगले साल पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में किसानों का भाजपा के विरोध में लामबंद होना आगे उसकी मुश्किलें बढ़ा सकता है.
यही कारण है कि अब संघ ने भी भाजपा को खतरे से अगाह करने को उक्त नसीहत दी है. साथ ही यह भी कहा है कि उसे प्रदर्शन कर रहे किसानों से जल्द से जल्द मुलाकात कर समस्या के समाधान पर जोर देना चाहिए.
संघ के संयुक्त महासचिव कृष्ण गोपाल ने पिछले एक सप्ताह में उत्तर प्रदेश के पश्चिमी अंचल के जिला स्तरीय व अन्य बड़े नेताओं से मुलाकात कर उनसे जमीनी सच्चाई जानने की कोशिश की.
हालांकि, कई दिनों तक चली बैठकों के दौरान भाजपा नेताओं को यह भी सलाह दी गई कि वे सिखों जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों या जाटों जैसे जाति समुहों का विरोध न करें. सूत्रों की मानें तो उक्त बैठकें सूबे में बिगड़ रहे सियासी हालात को नियंत्रित करने और पिछली गलतियों को सुधारने की एक कवायद थीं.
वहीं, लखीमपुर हिंसा और कुछ पार्टी नेताओं के बयानों से भाजपा की छवि को खासा नुकसान पहुंचा है और संघ को लगता है कि पार्टी इस तरह का जोखिम नहीं उठा सकती. बता दें कि संघ पदाधिकारियों ने अलग-अलग बैठकों में अलग-अलग स्तर व क्षेत्रों के भाजपा नेताओं से मुलाकात की, जिसमें यह बात स्पष्ट हुई है कि धरने पर बैठे किसानों के आक्रोश को खत्म करना जरूरी है.